जब दूसरी बार हालदार साहब कस्बे से गुजरे तो उनका कौतुक और क्यों बढ़ गया था?
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हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते जब से कैप्टन मारा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था इसलिए जब हालदार साहब कस्बे से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना कर दिया
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(क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस क्यों हो गए थे क्योंकि वे सोच रहे थे कस्बे के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तो अवश्य मिलेगी, परंतु उनकी आँखों पर चश्मा लगा नहीं मिलेगा। चश्मा लगानेवाला देशभक्त कॅप्टन तो मर चुका है और वहाँ अब किसी में वैसी देशप्रेम की भावना नहीं है।
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