Hindi, asked by punisher100, 6 months ago

'जब वहाँ भी-केवल प्रारब्ध की ही परीक्षा करनी है, तो सावधानी से कर लेंगे। पूर्व पुरुषों की संचित
जायदाद और रखे हुए रुपये मैं अनिश्चित हित की आशा पर बलिदान नहीं कर सकता कथन के आधार
पर बाबू चैतन्यदास की मानसिकता पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट कीजिए कि उनमें और उनकी पत्नी में
किस-किस प्रकार का संवाद हुआ। यह भी बताइए कि उनकी पत्नी जीतकर भी किस प्रकार हार गई?​

Answers

Answered by hematiwari525
1

Answer:

sorry i have no idea for this question

Answered by rajputtpriya77
1

Answer:

sorry ....i have no idea about it

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