Hindi, asked by Amitmishra1912, 8 months ago

जग जीवन का भार और फिर भी जीवन
से प्यार" यहाँ कवि ने जीवन के संदर्भ
में यह विरोधी बात क्यों कही है ?​

Answers

Answered by anshukeshari1972
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Answer:

कवि ने जीवन का आशय जगत से किया है अर्थात वह जगत रुपी जीवन का भार लिए घूमता है। कहने का भाव है कि कवि ने अपने जीवन को जगत का भार माना है। वह अपने जीवन के प्रति लापरवाह नहीं है। लेकिन वह संसार का ध्यान नहीं करता। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं है कि संसार या उसमें रहने वाले लोग क्या करते हैं। इसीलिए उसने अपनी कविता में कहा है कि मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूं। अर्थात मुझे इस संसार से कोई या किसी प्रकार का मतलब नहीं है।

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