जग जीवन में जो चिर-महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्य-प्राण।
मैं उनका प्रेमी बनूँ नाथ,
जो हो मानव के हित समान।
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अंधभक्ति।
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ,
मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति।
पाकर प्रभु तुमसे अमर दान,
करके मानव का परित्राण।
ला सकूँ विश्व में एक बार,
फिर से नवजीवन का विहान।
- श्री सुमित्रानंदन पंत
कवि मानव रक्षा के लिए क्या करना चाहिए
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कवि मानव रक्षा के लिए क्या करना चाहिए
जग-जीवन में जो चिर महान कविता सुमित्रानंदन पंत कवि द्वारा लिखी गई है|कविता में ईश्वर से लोह कल्याण और मानवता की सेवा करने किए शक्ति प्राप्त करने के की प्रार्थना की गई है|
कवि मानव रक्षा के लिए भगवान से वरदान मांग रहे ताकी वह मानव की रक्षा कर सकूं| कवि कहना चाहते है हे प्रभु मैं उसका सेवक बनना चाहता हूँ जो समान रूप से मानव का कल्याण करने वाला हो| संसार में दीर्घ समय तक रहने वाला हो| जिससे जीवन में मिले शक्ति| मैं वह प्रकाश बन सकूं , मेरे मन किसी के लिए कोई भेद-भाव न हो| मैं सभी के लिए गरीब , छोटा बड़ा , सब के प्रति एक जैसा रहूँ| जीवन में शक्ति मिले , मैं सभी बुराइयों, कष्ट , भय का अंत हो सके|
हे प्रभु, मुझे आपसे वरदान मिले कि मैं संसार में मनुष्य की रक्षा कर सकूँ| हे प्रभु, मुझे आप से यह वरदान मिले कि मैं संसार में मनुष्य की रक्षा कर सकूं| मैं संसार में नव-जीवन ला सकूं| संसार में लोगों के जीवन से अंधकार और अंधविश्वास को मिटाना चाहता हूँ|
Answer:
कवि ने प्रभु से क्या-क्या मांगा है?