जग-जीवन में जो चिर महान,सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान! जिससे जीवन में मिले शक्ति छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,मैं वह प्रकाश बन सकें नाथा मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति।
is Kavita mein kavi ne akhil vyakti ka prayog kyon Kiya hai
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pahale mark as brinlyst do fir answer bolungi
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please yar... apko apke pyaar ki kasam
please..............
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sorry I didn't understand your language
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