जग-जीवन में जो चिर महान,सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,मैं उसका प्रेमी बनूं नाचा
जिससे मानव-हित हो समान! जिससे जीवन में मिले शक्ति छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,मैं वह प्रकाश बन सकें नाथा मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति
is Kavita ka mul bhav kya hai
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(क) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
1. जग-जीवन …………………………….. सत्य-प्राण।
उत्तर :
भाव – जो संसार रूपी जीवन में दीर्घकाल तक रहने वाला, श्रेष्ठ सौंदर्य से परिपूर्ण और हृदय में सत्य धास्ण करने वाला हो।
2. जिससे जीवन में ………………………… अन्धभक्ति
उत्तर :
भावं – हे प्रभु! मुझे ऐसी शक्ति दो जिससे मेरे अंदर भय, शक, संदेह और बिना सोच-विचार के किसी के प्रति निष्ठा रखने की भावना का उदय हो।
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