. जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान!
जिससे जीवन में मिले शक्ति
छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ!
मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति !
(क) कवि ने ‘चिर महान’ किसे कहा है?
(i) मानव को
(ii) ईश्वर को
(iii) जो सत्य और सुंदर से संपूर्ण हो
(iv) शक्ति को
(ख) कवि कैसा प्रकाश बनना चाहता है?
(i) जिससे सब तरफ उजाला हो जाए।
(ii) अज्ञान का अंधकार दूर हो जाए
(iii) जो जीने की शक्ति देता है।
(iv) जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।
(ग) कवि ने ‘अखिल व्यक्ति का प्रयोग क्यों किया है?
(i) कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है।
(ii) कवि अमीर लोगों की बात कहना चाहता है।
(iii) कवि भारत के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाहता है।
(iv) कवि ब्रह्मज्ञानी बनना चाहता है।
(घ) कवि ने कविता की पंक्तियों के अंत में विस्मयादिबोधक चिह्न प्रयोग क्यों किया है?
(i) कविता को तुकांत बनाने के लिए
(ii) कवि अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
(iii) इससे कविता का सौंदर्य बढ़ता है।
(iv) पूर्ण विराम की लीक से हटने के लिए
(ङ) कविता का मूलभाव क्या है?
(i) कल्याण
(ii) अमरदान की प्राप्ति
(iii) विश्व-परिवार की भावना
(iv) सत्य की प्राप्ति
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