जग में बैरी कोई नहिं, जो मन सीतल होय। या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।। इसमें 'आपा' का क्या अर्थ है? * 2 points
(क) स्वयं
(ख) उत्साह
(ग) आप
(घ) अहंकार
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हिन्दी मे अर्थ ।। संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अगर अपने मन में शीतलता हो तो इस संसार में कोई बैरी नहीं प्रतीत होता। अगर आदमी अपना अहंकार छोड़ दे तो उस पर हर कोई दया करने को तैयार हो जाता है।
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Explanation:
जग में बैरी कोई नहिं, जो मन सीतल होय। या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।। इसमें 'आपा' का क्या अर्थ है घ) अहंकार.
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