Hindi, asked by aayanarora2019, 5 hours ago

जग में होत हंसाय, चित्त चित्त में चैन न पावै।
खान पान सम्मन, राग रंग मनहिं न भावै॥ arth​

Answers

Answered by muskanpathak002
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Answer:

प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि मनुष्य को अपने किसी कार्य को करने से पूर्व सोच समझकर ही निर्णय लेना चाहिए ताकि उसे बाद में पछताना न पड़े। यदि हम बिना विचारे कोई काम करते हैं तो अपना काम तो खराब करते ही हैं साथ ही संसार में हंसी के पात्र भी बनते हैं। हमारा मन कभी चैन नहीं प्राप्त करता और हमारा मन किसी कार्य में नहीं लगेगा।

Explanation:

यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के नीति-विषयक कवि भूषण द्वारा रचित गिरिधर कविराय से संकलित किया गया है।

इस पंक्ति के द्वारा कवि गिरधर यह कह रहे है कि हमें कोई भी काम बिना सोचे- विचार के नहीं करना चाहिए। जिसके कारण निकट भविष्य में हमें उसका पछतावा हो।

Hope it's helpful..

best of luck for you great Future...

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