जग में होत हंसाय पंक्ति में कौनसा अलंकार है
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➲ अनुप्रास अलंकार
✎... ‘जग में होत हंसाय’ इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि यहाँ ‘ह’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है। अनुप्रास अलंकार में किसी वर्ण या शब्द की एक अधिक बार आवृत्ति होती है।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य में किसी वर्ण या शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो तो वहां पर अनुप्रास अलंकार प्रकट होता है। शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति होने के संबंध में यह नियम है कि शब्द का अर्थ समान हो। यदि एक से अधिक लेकिन अलग-अलग अर्थ वाले शब्द का काव्य में प्रयोग होगा तो वहां पर ‘यमक अलंकार’ होता है, अनुप्रास अलंकार नहीं। यदि एक जैसे शब्द लगातार दो बार प्रयुक्त हो जैसे ‘चलते-चलते’ या ‘धीरे-धीरे’ तो वहां पर ‘पुनरुक्ति अलंकार’ होता है।
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