जगपाएक
वाको जियो जगु लाख करोर जा
सातरवाह नंद केमोनहि।
जग लाख करोर,जसोमति को सुख जात को नहि।।
लगाइ लगाइ के अजन, भौहें बनाइ बनाइ डिठौनहि।
रि हमेलनि हार निहारत वारत ज्या पुचकारत छौनहिं।। 21
हमारे अति सोभित स्यामजू, तैसी बनी रिस सुंदर चोटी।
लत खात फिर अगना, पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी।।
वा छबि को रसखानि बिलोकत, वारत काम कला निज कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी हरि-हाथ सो लै गयौ माखन-रोटी।।3।
ना दिन तें वह नंद को छोहरा, या बन धेनु चराइ गयौ है।
मोहिनी ताननि गोधन गावत, बेनु बजाइ रिझाइ गयौ है।
वा दिन सो कछु टोना सो कै, रसखानि हियै मै समाइ गयौ है।
कोऊ न काहू की कानि करे, सिगरो ब्रज बीर, बिकाइ गयौ है
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Gbgbhhhh
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