Hindi, asked by helper608, 7 months ago

जगत का रखवाला ईश्वर है।. निबंध लिखें हिंदी में।​

Answers

Answered by pakhimishradps20
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Explanation:

ईश्‍वर शुद्ध प्रकाश स्वरूप है, लेकिन वह प्रकाश नहीं है।

*ईश्‍वर केवल एक है, उसके जैसा कोई दूसरा नहीं।

*क्लेश, कर्म, विपाक और आशय- इन चारों से अपरामष्‍ट- जो संबंधित नहीं है वही पुरुष विशेष ईश्वर है। अर्थात जो बंधन में है और जो मुक्त हो गया है वह ईश्वर नहीं है, बल्कि ईश्वर न कभी बंधन में था, न है और न रहेगा।

*ईश्‍वर निराकार, निर्विकार और निर्विकल्प है। उसकी कोई मूर्ति नहीं बनाई जा सकती।

*ईश्वर अजन्मा है। जिन्होंने जन्म लिया है और जो मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं या फिर अजर-अमर हो गए हैं वे सभी ईश्वर नहीं हैं।

*ईश्वर दयालु, प्रेमपूर्ण और जगत का रखवाला है।

*वह सच्चिदानंद है। अर्थात सत, चि‍त्त और आनंद स्वरूप है। सत् का अर्थ है- सनातन, साश्वत, जिसका कोई प्रारंभ नहीं और अंत भी नहीं, न बदलने वाला- न समाप्त होने वाला। चित् का अर्थ है- चेतना, विचारणा, मन और ‍बुद्धि आदि। चेतना से ही संसार का उद्भव हुआ है। तीसरा इस संसार का सबसे बड़ा आकर्षण ‘आनंद’ है। संसार की उत्पत्ति आनंद के लिए ही हुई है। शुद्ध आनंद की अनुभूति होना दुर्लभ है।

*'वह परब्रह्म (ईश्वर) एकात्म भाव से और एक मन से तीव्र गति वाले हैं। वे सबके आदि (प्रारंभ) तथा सबके जानने वाले हैं। इन परमात्मा को देवगण भी नहीं जान सके। वे अन्य गतिवानों को स्वयं स्थिर रखते हुए भी अतिक्रमण करते हैं। उनकी शक्ति से ही वायु, जल वर्षण आदि क्रियाएं होती हैं। वे चलते हैं, स्थिर भी हैं; वे दूर से दूर और निकट से निकट हैं। वे इस संपूर्ण विश्‍व के भीतर परिपूर्ण हैं तथा इस विश्‍व के बाहर भी हैं।'।।4,5।।-ईशावास्योपनिषद

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