जगत की शोभा किसपर और कैसे निर्भर है ?
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गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर ॥ भावार्थ – वर्षा ऋतु में सुन्दर हंस कतार बाँधे चलते हैं, सुन्दर गीत गाकर किसानों के मन हर रहे हैं। ... भावार्थ – इस प्रकार पृथ्वी पर वर्षा ऋतु अनोखी आनन्द ला दिया है। सम्पूर्ण जगत की शोभा वर्षा ऋतु पर निर्भर है
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- smpurn jagat ki sobha ritu pr nirbhar hai
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