जगदीश बाबू को क्या नहीं अच्छा लगता था
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किसी की 'प्रेस्टिज' का ख्याल भी नहीं है तुम्हें ?' जगदीश बाबू का मुँह क्रोध के कारण तमतमा गया, शब्दों पर अधिकार नहीं रह सका । मदन 'प्रेस्टिज' का अर्थ समझ सकेगा या नहीं, यह भी उन्हें ध्यान नहीं रहा, पर मदन बिना समझाए ही सब कुछ समझ गया था। मदन को जगदीश बाबू के व्यवहार से गहरी चोट लगी।
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जगदीश बाबू का मुँह क्रोध के कारण तमतमा गया, शब्दों पर अधिकार नहीं रह सका। मदन 'प्रेस्टिज' का अर्थ समझ सकेगा या नहीं, यह भी उन्हें ध्यान नहीं रहा, पर मदन बिना समझाए ही सबकुछ समझ गया था। मदन को जगदीश बाबू के व्यवहार से गहरी चोट लगी।
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