जहाँ भय है, वहां मेद्या नहीं हो सकती
किस पाठ की उक्ति है-
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जहाँ भय है, वहां मेद्या नहीं हो सकती
शिक्षा पाठ की उक्ति है।
- शिक्षा पाठ के लेखक है जे कृष्ण मूर्ति ।
- वे लिखते नहीं थे किन्तु संभाषण करते थे।
- लेखक ने इस पाठ के माध्यम से शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट किया है।
- लेखक का कहना है कि शिक्षा का अर्थ कुछ परीक्षाएं उत्तीर्ण कर लेना नहीं होता। उनके अनुसार जीवन को अच्छी तरह से समझना ही शिक्षा है।
- लेखक कहते है कि बच्चों को हमेशा ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जो स्वतंत्रता पूर्ण हो। हम हमेशा डर में जीते है , लोग क्या कहेंगे , इसका डर, नौकरी छूटने का डर , परंपराओं से डर, मृत्यु का डर आदि।
- बच्चो को बचपन से ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जहां स्वतंत्रता हो।
- हमें हमेशा गलत बातों का विरोध करना चाहिए।
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जहाँ भय है, वहां मेद्या नहीं हो सकती, शिक्षा पाठ की उक्ति है-
Explanation:
मेधा वह शक्ति है जिससे मनुष्य सिद्धान्तों की अनुपस्थिति में भी निर्भयतापूर्वक सोचता है ताकि वह सत्य और यथार्थ को समझ सके। यदि मनुष्य भयभीत रहता है तो कभी मेधावी नहीं हो सकेगा। किसी प्रकार की महत्वाकांक्षा चाहे आध्यात्मिक हो या सांसारिक-चिन्ता और भय का निर्माण करती है। जबकि ठीक इसके विपरीत निर्भीक वातावरण में मेधा का जन्म होता है। इसलिये जहाँ भय है वहाँ मेधा नहीं हो सकती।
जहाँ भय है, वहां मेद्या नहीं हो सकती, शिक्षा पाठ की उक्ति है-
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