जहा चाह, वहा राह कहानी लिखो .
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once there was a crow he was very thirsty he wanted to drink water then he saw here and there then he found a large pot but the water in the pot was very less
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Explanation:
प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था । राजा बहुत ही शांत स्वभाव का था । उसके घर मे उसकी पत्नी और दो बेटे रहा करते थे । राजा ने ऐसे गुरू से शिक्षा ली थी जो बहुत ही ज्ञानी थे और हर तरह की मुसीबत से निकलने के उपाय के बारे मे जानते थे ।
इसके अलावा उस गुरू को यह भी पता था की जीवन मे किसी कार्य मे सफल होने के लिए क्या करना चाहिए । यह गुरू अपना मंत्र ही मानते थे क्योकी वह अपने शिष्यो को यह बात बताता जिसके कारण से वे सफल हो सकते ।
क्योकी राजा इसी गुरू का शिष्य था इस कारण से उसे पता था की जीवन मे सफल होने के लिए क्या करना चाहिए इस कारण से राजा जो भी कार्य करता तो वह उसमे अपना पूरा जी जान लगा देता था । साथ ही अपनी सेना को भी इसी तरह से कार्य करने के लिए कहता था ।
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जिसके कारण से जब भी राजा के राज्य पर कोई वार करता तो राजा अपनी सेना को कहता की चाहे मुसीबत कितनी भी बडी हो अगर कोई चाहता है की हमरी ही जीत हो तो उसे अपनी पूरी ताकत इस युद्ध को जीतने मे लगानी होगी और चाहे फिर सामने वाला कितना भी पावरफुल हो वह हार ही जाएगा ।
इस तरह से कहने के कारण से राजा की सेना मे जोस आ जाता और वह जोस के साथ अपना पूरा मन लगा कर युद्ध करते और सामने वाली सेना को पछाड देते थे । इसी तरह की एक बार की बात है । राजा अपने राज्य से बाहर जा रहा था ।
इस कारण से उसने अपने दोनो बेटो को अपने पास बुलाया और अपनी सेना के सामने ऐलान कर दिया की जब तक मैं वापस नही आ जाता तक तक मेरा बडा बेटा आपका राजा और छोटा बेटा उसका मंत्री है ।
इस तरह से कहने के बाद मे राजा अपने बेटो से कहने लगा की बेटो मेरे जाने के बाद मे अगर कोई मुसीबत हो तो उससे छुटकारा माने का एक ही रास्ता है । यह सुनते ही राजा के बेटो ने कहा की क्या है वह रास्ता ।
तब राजा ने कहा की अगर तुम किसी मुसीबत से सच मे छुटकारा पाना चाहते हो तो उसके लिए आपको पुरे मन के साथ काम करना होगा । इस तरह से कहते हुए राजा ने युद्ध का उदहारण दिया और कहा की अगर सभी युद्ध जितने की ठान कर युद्ध करगे तो वह युद्ध जित ही जाएगा क्योकी जहाँ चाह वहाँ रहा ।
इस तरह से कहने के कारण से राजा के दोनो बेटो को समझ मे आ गया । इतना कहने के बाद मे राजा अपने राज्य से रवाना हो गया था । जब राजा को अपने राज्य से गए हुए एक दिन हुआ तो अचानक उनके राज्य पर राजा हरीदास ने हमला कर दिया ।
जैसे ही हमले की खबर राजा के बेटो के पास पहुंची तो राजा के बेटो ने तुरन्त सभा बुलाई और कहा की आपको पता है की राजा ने कहा था की हमे दृढं इच्छा के साथ युद्ध को लडना है । तब जाकर हम युद्ध जीत सकते है । इतना कहने के बाद मे सेनापति बोल पडा की यह बात सभी को भली प्रकार से पता है ।
इस तरह से फिर सभी युद्ध स्थल पर चले गए । वहां जाकर देखा तो सभी के छक्के छुट गए क्योकी सामने वाली सेना काफी अधिक विशाल थी । यह देखकर तो राजा के दोनो बेटो को भी लगा की वे युद्ध हार जाएगे । तभी सेनापति बोल पडा की राजा का कहा हुआ है की जब भी ऐसी परिस्थिति आए तो हमे पूरे मन के साथ और ताकत लगा कर युद्ध करना है ।
यह सुनने के बाद मे राजा की सेना आगे बढने लगी और धिरे धिरे सामने वाली सेना को पछाडने लगी । यह देख कर राजा के बेटो को भी जोस आने लगा और उन्होने युद्ध जितने के लिए अपनी ताकत और मन दोनो लगा दिए ।
इस तरह से रात्री होने से पहले ही युद्ध खत्म हो गया और राजा हरीदास वहाँ से भाग गया । इस तरह से फिर राजा के दोनो बेटे और बाकी सेना युद्ध जीतने का जसन मानाने लगे थे । इस तरह से युद्ध जीत जाने के बाद मे राजा के दोनो बेटो को पता चल गया की जहाँ चाह वहाँ राह होती है।
जहाँ चाह वहाँ राह मुहावरे पर कहानी jahan chah wahan raah muhavare par kahani
जब राजा अपने राज्य मे आया तो उसे इस बारे मे पता चला तब वह भी बहुत खुश हुआ और अपनी गैरमौजूदगी मे सेना का ऐसा कार्य देख कर सभी को मुठ्ठी भर कर सोना चांदी दिया।
इस तरह से फिर सभी को पता चल गया था की चाहे जो भी कार्य हो उसे करने की ठाल लने पर वह कार्य जरूर होता है । इस तरह से आपको भी पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।