“जहाँ गुण की अधिक समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप किया
जाए", वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
(i) अनुप्रास
(ii) यमक
(iii) रूपक
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(iii) रूपक
रूपक अलंकार- काव्य में जहाँ गुण, स्वभाव आदि की अत्यधिक समानता के कारण प्रस्तुत और अप्रस्तुत (उपमेय और उपमान) में भेद न दर्शायाजाए, उसे अभिन्न मान लिया जाए, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है, जैसे – 'मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों । यहाँ पर 'चंद्र-खिलौना' में चंद्रमा पर खिलौने काआरोप किया गया है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
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