जहाँ पहिया है पाठ से आपने क्या सिखा ?
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Answer:
लेखक पी० साईनाथ ने पाठ का नाम 'जहां पहिया है' बड़ी ही सूझबूझ के साथ रखा है। इस पाठ में पहिया उन्नति एवं प्रगति का चिह्न है। पहिया समय के साथ-साथ चलने की प्रेरणा देता है। इसी प्रेरणा को ग्रहण कर पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपनी आजादी और गतिशीलता को दर्शाने के लिए चिह्न रूप में साइकिल को चुना |
Explanation:
जहाँ पहिया है” पाठ के लेखक “पालगम्मी साईनाथ जी” हैं। पालगम्मी साईनाथ जी इस लेख के द्वारा एक साईकिल आंदोलन की बात करते हैं और तमिलनाडू के क्षेत्र में प्रसिद्ध जिले में किस तरह से महिलाऐं साइकिल के पहिऐ को एक आंदोलन का रूप देती हैं और किस तरह से वह स्वतंत्र होती हैं। अपने घर और सामाज से बाहर निकलकर आत्मनिर्भर बनती हैं। साईकिल का पहिया एक साधान के रूप में प्रस्तुत होता है और उसका उपयोग होता है एक बहुत ही बड़े आंदोलन के रूप में जहाँ पर पुरुष प्रधान सामाज में पहले स्त्रियों को किसी भी तरह की स्वतंत्रता नहीं थी, कोई भी काम करने की या घर से बाहर जाकर कमाने की। लेकिन इस पहिये के ही द्वारा उनमें आत्मनिर्भरता जागी और उन्होंने अपने काम स्वंय करने आंरभ किए, अब वे बिलकुल स्वतंत्रता से अपने कार्य करती हैं और उनमें एक नई आज़ादी का अनुभव या संचार हुआ है।
इस लेख में तमिलनाडु के एक गरीब जिले में होने वाले सामाजिक परिवर्तन तथा आंदोलन का वर्णन कर रहे हैं। लेखक के अनुसार लोग रूढ़ियों से मुक्त होने के लिये रास्ते चुनते हैं। कई बार वे बहुत अजीब होते हैं जैसे उक्त जिले में अपनी पहचान प्रदर्शित करने के लिए साइकिल का चयन किया। वहाँ नव साक्षर लड़कियाँ, महिलाएँ साइकिल चलाती हैं। लेखक के अनुसार साइकिल चलाने संबंधी इस आंदोलन ने महिलाओं के न सिर्फ आर्थिक पक्ष को मजबूत किया बल्कि उनमें एक नए आत्मविश्वास का संचार भी हुआ।