जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
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___k off
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hey!
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उत्तर:
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- दाना का आशय है जानकार लोग अर्थात् सबकुछ जानने वाले और समझने वाले लोग। कवि कहता है कि संसार में दोनों तरह के लोग होते हैं – ज्ञानी और अज्ञानी, अर्थात् समझदार और नासमझ दोनों ही तरह के लोग इस संसार में रहते हैं।
- जो लोग प्रत्येक काम को समझबूझ कर करते हैं वे ‘दाना’ होते हैं, जबकि बिना सोचे-विचारे काम करने वाले लोग नादान होते हैं।
- अतः कवि ने दोनों में अंतर बताने के लिए ही ऐसा कहा है।
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उत्तर:- ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – पंक्ति के माध्यम से कवि कहते है कि मनुष्य सांसारिक मायाजाल में उलझ गया है और वह अपने मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य को भूल गया है। कवि सत्य की खोज के लिए, अहंकार को त्याग कर नई सोच अपनाने पर जोर दे रहा है।
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