jaha Sumati tahan Sampati Nana essay in Hindi 250words
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व्यक्ति ने प्राचीन काल से बहुत परिश्रम किया है। उसने परिश्रम करके अपने आप को सबसे अधिक शक्तिशाली और श्रेष्ठ बनाया है। आज तक उसने दूसरे लोगों पर अपने बल और बुद्धि से शासन किया है। प्राचीनकाल में अंग्रेजों ने भारत पर अपनी बुद्धि के बल पर शासन किया था। लोग बुद्धि से असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं। लोगों ने बुद्धि के बल पर ही नए-नए आविष्कार किये जिससे आधुनिक युग का निर्माण हुआ।
बुद्धि और ज्ञान का समंवय : व्यक्ति विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। व्यक्ति ने संसार में अपनी बुद्धि और ध्यान से अन्य प्राणियों में सर्वश्रेष्ठता प्राप्त की है। उसने जो कुछ भी प्राप्त किया है वो सब कुछ अपनी बुद्धि से प्राप्त किया है। जहाँ पर बुद्धि होती है वहाँ पर सुख और संपत्ति का होना निश्चित है।
व्यक्ति ने अपनी बुद्धि को चर्म सीमा पर ले जाकर ईश्वर रूप को भी प्राप्त किया है। व्यक्ति का एक नाम मनुष्य भी होता है। भगवान अपने सौंदर्य और सत्य को व्यक्ति के रूप में अच्छी तरह से साकार कर चुका है। राम और रावण दोनों ही व्यक्ति थे। एक को भगवान का रूप माना जाता था और एक को नफरत से याद किया जाता था।
आखिरकार ये अंतर क्यूँ है? विचार करने पर विवश होता है कि व्यक्ति जिस प्रकार चाहे अपनी बुद्धि और ध्यान का प्रयोग कर सकता है। व्यक्ति अपनी सुमति से स्वर्ग भी जमीन पर उतार सकता है लेकिन दूसरी ओर दूषित भावना से नंदन कानन को पतझर के रूप में परिणत कर सकता है।
राम में भी बल था और रावण में भी लेकिन फिर भी एक की जयंती मनाई जाती है और दूसरे को याद करने से नफरत होती है। इसी कारण से एक ने सुमति से लोगों के अधिकारों की रक्षा की और दूसरे ने दूषित भावना से लोगों के अधिकारों का शोषण किया। बुद्धि को किसी भी प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
सुख समृद्धि का आधार : हमें यह पता चल गया है कि व्यक्ति के दिल में सुमति और कुमति दोनों का ही वास होता है। इन्हीं भावों से मनुष्य के अच्छे या बुरे होने का पता चलता है। सुमति और कुमति दोनों को ही बुद्धि का रूप माना जाता है। सुमति व्यक्ति को उन्नति और सुख संपत्ति प्रदान करती है और कुमति से व्यक्ति नाश की ओर जाता है।
रावण की बुद्धि कुमति थी। उसके भाई विभीषण ने उसे सुमति को अपनाने और राम की शरण में जाने के लिए कहा लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी थी। इसी लिए उसके बारे में सोचकर सभी को नफरत होती है।
सुखों का आधार : अगर आप किसी भी जगह का इतिहास उठाकर देखते हैं तो पता चलता है कि वहाँ के ज्यादातर लोगों की चितवृत्ति का फल उन्नति या अवनति का मूल कारण रहा है। कुमति को अपने व्यापक अर्थ में सब तरह की उन्नति, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है।
सुमति को अपने व्यापक अर्थ में कलह, फूट, स्वार्थ-प्रियता और शोषण आदि सब तरह के अपकार का प्रतीक माना जाता है। सुमति से एकता की भावना पैदा होती है। एक मनुष्य कितना भी बुद्धिमान या विवेकशील हो वो अकेला कुछ भी नहीं कर सकता।
समाज में ही वो अपनी कुशलता दिखा सकता है। जहाँ पर सहयोग और एकता की भावना होती है वहीं पर धन, सुख-संपत्ति आते हैं। ऐसे लोगों को समाज में भी गौरव मिलता है। जिस समाज में प्रेम और संगठन की भावना होती है वो भगवान की कृपा पाता है और हर क्षेत्र में उसे जीत मिलती है।
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जहाँ सुमति तहँ संपति नाना पर निबंध | Jahan sumati tahan sampati nana essay in hindi:- वैचारिक एवं बौद्धिक शक्ति के कारण इन्सान सभी जीवों से अलग है. इनकी बौद्धिक कुशाग्रता का अर्थ अपने विचारों में शुभता एवं मंगलकामना भी हैं. यदि उनके विचार औरों के बारे में अच्छे है तो वह देवों के समान श्रेष्ठ इन्सान है. तथा इस तरह की सद्बुद्धि को अपने साथ रखने वाला व्यक्ति जीवन में असीम सफलताएं अर्जित करता हैं. तुलसीदास जी ने इसके बारे में कहा है कि जहाँ सुमति, तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति, तहां विपत्ति निदाना, आज हम आपकों इस दोहे का अर्थ निबंध व jahan sumati tahan sampati nana story in hindi के बारे में बता रहे हैं.
इस दोहे का अर्थ (जहाँ सुमति तहँ संपति नाना meaning in hindi) इस प्रकार है- सुमति सम्पन्न व्यक्ति में सत्यता, ईमानदारी, करुणा, धार्मिकता, प्रेमभाव, आस्तिकता और विश्वास जैसे सद्गुणों का जन्म होता है. तथा वह व्यक्ति अन्य इंसानों में भी सम्मान का पात्र बन जाता हैं. उसके व्यवहार एवं आचरण के आगे सभी को झुकना पड़ता हैं.