Chemistry, asked by fawadisbest91221, 1 year ago

jahangir full story


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Answered by Jyotimodi
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जहाँगीर मुघल सम्राट अकबर / Akbar (Son of Akbar) के सबसे बड़े बेटे थे और कम उम्र में ही वे अपनी पिता की चुनौतियों पर खरे साबित हुए थे। अपनी ताकत के प्रति उत्सुक होकर उन्होंने 1599 में जब अकबर डेक्कन में व्यस्त थे तब विद्रोह शुरू किया था। जहा जहाँगीर की हार हुई लेकिन वे 1605 में सम्राट बनने में सफल हुए क्युकी अकबर के हरम की महिलाये जैसे रुकैया सुल्तान बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम और उनकी दादी मरयम मकानी ने उन्ही बहोत सहायता की।

इन सभी महिलाओ का अकबर के जीवन में बहोत महत्त्व था इसीलिए जहाँगीर सम्राट बनने में सफल हुए। पहले ही वर्ष जहाँगीर के शासन पे उनके बड़े बेटे खुसरु मिर्ज़ा ने बगावत की। जहा जल्द ही मिर्ज़ा को निचे झुकना पड़ा। बगावत करने वालो में से लगभग 2000 सदस्यों को अपने वश में लेने के बाद जहाँगीर ने उनके विश्वासघाती बेटे को अँधा कर दिया।

जहाँगीर ने अपने पिता की वसीयत पर एक विशाल साम्राज्य का निर्माण कर रखा था। जिनके पास अपार सैन्य बल था। मजबूत आर्थिक परिस्थिती थी, शक्तिशाली योद्धा थे। धीरे-धीरे जहाँगीर का साम्राज्य बंगाल, मेवार, अहमदनगर के डेक्कन की और बढ़ता गया। केवल एक ही बड़ा परिवर्तन हुआ जब 1622 में शाह अब्बास (जो ईरान का साफविद सम्राट था) ने खानदार को अपनी हिरासत में ले लिया था।

उस समय जहाँगीर हिन्दुस्तान में खुर्रम से युद्ध कर रहे थे। जहाँगीर के नेतृत्व में उसकी विशाल ताकत के सामने खुर्रम की सेना तल्लीन(डूब गयी) हो गयी। बहोत से भारतीय विद्वानों का ऐसा कहना है की, जहाँगीर कई सारे हिंदु राजा, राजपूतो के साथ व्यवहार करते थे और उनसे अपने रिश्तो को मजबूत बनाने की कोशिश भी किया करते थे।

जहाँगीर की दिल और इच्छाशक्ति को देखते हुए कई हिंदु राजपूतो ने भी जहाँगीर मुघल प्रभुत्वता को स्वीकार कर लिया था। और अपने साम्राज्य को मुघल साम्राज्य में शामिल कर एक अविभाजित वर्ग बना लिया था।

जहाँगीर / Jahangir को कला, विज्ञानं और हस्तकला में बहोत रूचि थी। अपने जवानी के दिनों से ही वे पेंटिंग सीखते रहते थे। उन्होंने अपने साम्राज्य में कला का काफी विकास कर के रखा था।

जहाँगीर के शासन काल में मुघल शासको की पेंटिंग बहोत विकसित की गयी थी। उस समय पुरे विश्व में यह काफी चर्चा का विषय बन चूका था। उन्हें पेंटिंग में रूचि होने के साथ-साथ प्राकृतिक विज्ञानं में भी रूचि थी। उस समय जहाँगीर के शासन काल में पेंटर उस्ताद मंसूर जानवरों के और पेड़-पौधों के मशहूर चित्र निकलते थे। उस्ताद मंसूर को उनके जीवन में जहाँगीर ने कई बार स्वर्ण मुद्राये भेट स्वरुप दी है।

जहाँगीर को प्राणियों से बहोत लगाव था इसलिए उसने अपने साम्राज्य में कई प्राणी संग्रहालय भी बना रखे थे। जहाँगीर को पेंटिंग के अलावा यूरोपियन और पारसी कला बहोत पसंद थी। जहाँगीर ने अपने साम्राज्य में पारसी परम्पराओ को विकसित कर रखा था। विशेषतः तब जब एक पारसी रानी, नूर जहा ने उनका मन मोह लिया था।

जहाँगीर के साम्राज्य की विशेष धरोहर के रूप में कश्मीर में स्थित उनका शालीमार बाग़ है। मुघल वैज्ञानिको द्वारा जहाँगीर के शासनकाल में दुनिया का दिव्य पिंड बनाया गया, जिसे कही से भी किसी प्रकार का कोई जोड़ नहीं था।

जहाँगीर ने अपनी सेना को ये बता रखा था की, ”वे किसी को भी जबरदस्ती मुस्लिम बनने के लिए ना कहे”। जहाँगीर द्वारा जिझया को भी लगाने से मना किया गया। जहा उस समय की इंग्लिश पुजारी एडवर्ड टेरी ने ये कहा की, “हर एक इंसान को अपने-अपने इच्छा नुसार मनचाहे धर्म में बिना किसी दबाव के जाना चाहिये, तभी एक अच्छे साम्राज्य का निर्माण हो पायेंग”।

जहाँगीर के दरबार में हर कोई आ-जा सकता था, फिर चाहे वो किसी भी धर्मं का क्यू ना हो। उनके दरबार में दोनों मुस्लिम प्रजातिया सुन्नी और शिअस को समान दर्जा दिया जाता था।

जहाँगीर उनकी बुरी आदतों (व्यसन) के बिना अधूरे है। उन्होंने अपने पुत्रो के सामने एक विशाल साम्राज्य की मिसाल कड़ी कर रखी थी लेकिन साथ ही उनको शराब, अफीम और महिलाओ के लत होने से उनकी काफी आलोचना की जाती।

उन्होंने अपनी कई ताकतों को उनकी पत्नी नूरजहाँ को दे रखा था। जिस से उनकी पत्नी को उनकी इन बुरी आदतों की वजह से दरबार संभालना पड़ता, और अंतिम वर्षो में मुघल साम्राज्य के गिरने का यही कारण बना। उस समय परिस्थिती इस कदर बदल गयी थी की जहाँगीर के बेटे खुर्रम को डर था की कही उसे सिंहासन के हक्क से निकाल ना दिया जाए इसलिए उसने 1622 में पुनः बगावत की।

जहाँगीर की सेना ने खुर्रम का विनाश करना शुरू किया, जहा खुर्रम की सेना फतेहपुर सिकरी से डेक्कन की ओर बढ़ी। फिर बंगाल से पीछे गयी और ये सब तब तक चलता रहा जब तक 1926 में खुर्रम ने स्वयम का आत्मसमर्पण नहीं किया। इस बगावत का जहाँगीर के स्वस्थ पर बहोत बुरा प्रभाव पड़ा। और इसी वजह से 1627 में उनकी मृत्यु हो गयी और अंत में खुर्रम को राजगद्दी प्राप्त हुई और बाद में वाही हिन्दुस्तान का शाह जहाँ / Shahjahan बना।

जहाँगीर एक विशाल, शक्तिशाली, बहादुर मुघल सम्राट था। इतिहास में दूर-दूर तक हमें जहाँगीर का साम्राज्य फैला हुआ दिखाई देता है। जहाँगीर में कई अच्छी आदते होने के साथ-साथ कुछ बुरी आदते भी थी। उन्होंने अकबर द्वारा लिए गये साम्राज्य को सफलता पूर्वक आगे बढाया और मुघल सम्राटो के सामने एक महान साम्राज्य कायम करने की मिसाल रखी। मुस्लिम होते हुए भी जहाँगीर ने अपने दरबार में कभी भेदभाव नहीं किया वे सभी को समान अधिकार देते थे।

उन्हें कभी किसे पराये धर्म के व्यक्ति को उनके साम्राज्य में मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए जबर्दास्थी नहीं थी। दुसरे साम्राज्यों के लोग अपने रजा को हमेशा से ही जहाँगीर जैसा साम्राज्य निर्माण करने की सलाह दिया करते थे। क्यू की जहाँगीर का साम्राज्य विशाल, शक्तिशाली, आर्थिक रूप से मजबूत था।




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