jai sanksr parsad ka jivan
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जीवन परिचय
जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) जी का जन्म 30 जनवरी 1889 ई० (माघ शुक्ल दशमी, संवत् 1946 वि.) को गुरुवार के दिन काशी के सरायगोवर्धन में हुआ था। इनके पितामह शिवरतन साहू वाराणसी के अत्यन्त प्रतिष्ठित नागरिक थे और एक विशेष प्रकार की सुरती (तम्बाकू) बनाने के कारण ‘सुँघनी साहू’ के नाम से विख्यात थे। उनकी दानशीलता सर्वविदित थी और उनके यहाँ विद्वानों तथा कलाकारों का सम्मान होता था। जयशंकर प्रसाद के पिता देवीप्रसाद साहू ने भी अपने पूर्वजों की परम्परा का पालन किया। इनके परिवार की गणना वाराणसी के अतिशय समृद्ध घरानों में थी और धन-वैभव का कोई अभाव न था।
जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) का कुटुम्ब शिव का उपासक था। इनके माता-पिता ने इनके जन्म के लिए भगवान शिव से बड़ी प्रार्थना की थी। झारखण्ड के वैद्यनाथ धाम के से लेकर उज्जयिनी के महाकाल की आराधना के फलस्वरूप उनके यहाँ पुत्र रत्न की प्राप्ति हुयी. बचपन में जयशंकर प्रसाद को ‘झारखण्डी’ कहकर पुकारा जाता था और इनका नामकरण संस्कार भी वैद्यनाथ धाम में ही हुआ।
शिक्षा
जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, और उर्दू के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में जयशंकर प्रसाद का नाम लिखा दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके। जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) एक अध्यवसायी व्यक्ति थे और नियमित रूप से अध्ययन करते थे।