Geography, asked by simranjitsandhu4626, 1 year ago

Jain dharam pr sambad lekhan

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Answered by varuncharaya20
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जैन धर्म की मान्यता के अनुसार यह काफी पुराना और शाश्वत धर्म है। यह अनादि काल से प्रारंभ हुआ है। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकरों की मान्यता है। ऋग्वेद में ऋषभ और अरिष्टनेमी – दो तीर्थंकरों की चर्चा हुई है। वायु पुराण एंव भागवत पुराण ने ऋषभदेव को नारायण का अवतार घोषित किया। प्रथम तीर्थकर ऋषभ का प्रतीक सांड है। माना जाता है कि उन्होंने कैलाश पर्वत पर अपने शरीर का त्याग किया था। येआदिनाथ के नाम से भी जाने जाते हैं। दूसरे तीर्थकर अजित का प्रतीक हाथी है। 22वें तीर्थंकर नेमीनाथ का प्रतीक शंख है। 23वें तीर्थकर पाश्र्वनाथ का प्रतीक सांप है। 24वें तीर्थंकर महावीर का प्रतीक सिंह है। प्रारंभिक भागवत पुराण में ऋषभदेव को विष्णु का अवतार माना गया है। 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमी को भी वसुदेव कृष्ण का भाई बताया जाता है। पाश्र्वनाथ की माता का नाम रानी वामा था। पार्श्वनाथ वैदिक कर्मकाण्ड और देववाद के कटु आलोचक थे। इन्होंने चार व्रत -अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह और सत्यवादिता के पालन पर जोर दिया।
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