Jainedra ji ke pajeb kahani ka patra parichay
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पाजेब कहानी शीर्षक की सार्थकता
पाजेब कहानी जैनेन्द्र कुमार की बालमनोवैज्ञानिक कहानी है। मुन्नी का पाजेब के लिए मचलना बाल हठ है। पाजेब मिलने पर उसका प्रदर्शन तथा बहुत जल्दी मन भर जाना बाल मन की स्वाभाविकता है। बच्चों का कोई भी भाव स्थायी रूप से नहीं रहता है।
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