jaisalmer mein ret ka samundar kahan sthit hai
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समुद्र जो बन गया रेगिस्तान: वैज्ञानिकों ने जैसलमेर में खोजे 4.7 करोड़ पुराने समुद्री जीवाश्म
Updated on 7/13/2018
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग को रेगिस्तान में समुद्र के निशान ढू्ंढ़ने में एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। राजस्थान के जैसलमेर जिले में जीवाश्म शास्त्रियों ने लगभग 4.7 वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म को खोजने में सफलता पाई। इन जीवाश्मों में आदिकालीन व्हेल, शार्क दांत, मगरमच्छ के दांत और कछुए की हड्डियों जैसे दुर्लभ जीवाश्म शामिल है।
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इससे वर्तमान रेगिस्तान क्षेत्र में समुद्री जीवन और समुद्र की उपस्थिति का पता चलता है। प्राचीन जीवाश्मों की खोज उस युग के पर्यावरणिक माहौल को जानने में सहायक भी है। गौरतलब है कि देश के भूगर्भीय सर्वेक्षण (जीएसआई) की टीम भारत के पश्चिमी क्षेत्र गुजरात और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक साल से जीवाश्मों पर शोध कर रहा है।
रेगिस्तान में था कभी समुद्र
ये जीवाश्म जैसलमेर के बांदा गांव में पाए गए। भूगर्भीय वैज्ञानिक कृष्ण कुमार ने बताया कि इस खोज में सबसे महत्वपूर्ण पहलू एक खंडित जबड़ा और मेरूदंड रीढ़ की हड्डी है, जिसकी पहचान प्राचीन व्हेल की हड्डी के रूप में हुई है। मध्य आदिकाल के समुद्री जीवाश्मों की उपस्थिति से संकेत मिलता है कि लगभग 4.7 करोड़ वर्ष पहले, जैसलमेर क्षेत्र में एक समुद्री उपस्थिति थी।
कृष्ण कुमार ने यह भी बताया कि मध्य आदिकाल के दौरान कच्छ बेसिन और गुजरात में पहले दी गई रिर्पोट में जीवों के साथ समानता मिलती है, इस प्रकार उष्णकटिबंधीय समशीतोष्ण स्थितियों के तहत इसी तरह के उथले समुद्री प्रतिनिधित्व को दर्शाता है। इससे पता चला है कि ये सभी जीवाश्म उस समय के उष्ण कटिबंधीय वातावरण से संबंधित है।
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पहले भी मिल चुके हैं जीवाश्म
जैसलमर में इससे पहले भी प्राचीन जीवाश्म मिलने का इतिहास रहा है। यहां से पहले भी 18 करोड़ साल तक पुराने आकल लकड़ी केे जीवाश्म मिल चुके हैं। इनको शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीवाश्म संग्रहालय में रखा गया है।