Jaishankar Prasad ka jeevan parichay
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जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी (वाराणसी) के एक प्रतिष्टित वैश्य परिवार में हुआ था , इनके पिता बाबू देवीप्रसाद जी थे ! जो कि तम्बाखू के एक प्रशिद्ध व्यापारी थे, इनके बाल्यावस्था में ही इनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई तथा पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनका अध्ययनशील जीवन काफी प्रभावित हुआ और इनकी ज्यादातर शिक्षा घर पर ही संपन्न हुयी, घर पर ही इन्होने हिन्दी,संस्कृत,उर्दू ,अंग्रेजी,फारसी भाषाओ का गहन अध्ययन किया ! ये बड़े सरल एवं मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे, अपने सरल स्वभाव उदार प्रकृति एवं दानशीलता के वजह से ये बहुत ऋणी हो गये, इन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय की तरफ थोड़ा सा भी ध्यान नहीं दिया जिसके कारण इनका व्यवसाय भी बहुत प्रभावित हुआ !
बचपन से ही इनकी रूचि काव्य में थी, जो समय के साथ आगे बढ़ती गई ये अपने मृदुल स्वभाव के वजह से पुरस्कार के रूप में मिलने वाली राशि नहीं लेते थे, जिससे इनका सम्पूर्ण जीवन दु:खो में बिता और सन 1937 ई० को अल्पावस्था में ही क्षयरोग के कारण इनकी मृत्यु हो गई !
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