Hindi, asked by rsbisht1391977, 1 year ago

jal bina jag suna par kavita​

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Answered by sanskritigupta05
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Answer:

जीवन की बूंदों को तरसा, भारत का एक खंड,

सूरज जैसा दहक रहा है, हमारा बुंदेलखंड।

गांव-गली सुनसान है, पनघट भी वीरान,

टूटी पड़ी है नाव भी, कुदरत खुद हैरान।

वृक्ष नहीं हैं दूर तक, सूखे पड़े हैं खेत,

कुआं सूख गड्ढा बने, पम्प उगलते रेत।

कभी लहलहाते खेत थे, आज लगे श्मशान,

बिन पानी सूखे पड़े, नदी-नहर-खलिहान।

मानव-पशु प्यासे फिरे, प्यासा सारा गांव,

पक्षी प्यासे जंगल प्यासा, झुलसे गाय के पांव।

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