जल चक्र का सचित्र वर्णन करें
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Explanation:
जल की एक मुख्य विशेषता यह है कि यह अपनी अवस्था आसानी से बदलसकता है । यह ग्रह पर अपनी तीन अवस्थाओं, ठोस, द्रव तथा गैस के रूप में आसानी से प्राप्त हो जाता है । पृथ्वी पर जल की मात्रा सीमित है । जल का चक्र अपनी स्थिति बदलते हुए चलता रहता है जिसे हम जल चक्र अथवा जलविज्ञानीय चक्र कहते हैं । जलीय चक्र की प्रक्रिया जल-मंडल, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वातावरण तथा पृथ्वी की सतह का सारा जल मौजूद होता है । इस जलमंडल में जल की गति ही जल चक्र कहलाता है ।
जल चक्र प्रक्रिया
यह संपूर्ण प्रक्रिया बहुत ही सरल है जिसे 6 भागों में विभाजित किया गया है।
क - वाष्पीकरण/वाष्पोत्सर्जन
ख - द्रवण
ग - वर्षण
घ - अंतः-स्यंदन
ड - अपवाह
च - संग्रहण
जब वातावरण में जल वाष्प् द्रवित होकर बादलों का निर्माण करते है, इस प्रक्रिया को द्रवण कहते हैं । जब वायु काफी ठण्डी होती है तब जल वाष्प् वायु के कणों पर द्रवित होकर बादलों का निर्माण करता है । जब बादल बनते हैं तब वायु विश्व में चारो ओर ले जाकर जल वाष्प को फैलाती है । अन्ततः बादल आद्रता को रोक नहीं पाते तथा वे हिम, वर्षा, ओले आदि के रूप में गिरते हैं ।