जल ही जीवन है कविता srijan
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बिना जल के होय नहीं, कोई-सा भी काम।
इसे साफ रखने हेतु, उपाय करें तमाम।।
इसको बचाने के लिये, रहें आप तैयार ।
बना हुआ है जल यहाँ, जीवन का आधार।
न हो जल के लिये शिवम् , आपस में तकरार।।
कीजिए जल का ‘शिवम् ’, उतना ही उपयोग।
लगता जितना आपको, बिठा ऐसा संयोग।।
सच कहते हैं जल बना, जीवन की पहचान।
व्यर्थ बहाकर करें ना, इसका अब नुकसान।।
रखो बचाकर जल सदा, इसमें जीवन धार।
आपके जीवन की ये, खींचे है पतवार।।
जल प्रदूषण न बढ़े कभी, रखें इसका ध्यान।
अगर रोका नहीं इसे, खतरे में फिर जान।।
न हो प्रदूषित जल ‘शिवम् ’, रहे सदा ही साफ।
करें जो प्रदूषित जल को, करें ना उसे माफ।।
बचाकर रखे धन तभी, जब आवे संताप।
जल भी है धन सभी का, रखें बचाकर आप।।
जो अधर सदा रहे जी, प्यास से बदहाल।
प्यास बुझाकर मत कर, कोई नया सवाल।।
कुआँ, नदी, ताल, पोखर, छोड़ा सबने साथ।
कर दिया है पानी ने, हम सभी को अनाथ।।
कैसे बचे पानी अब, करें यह मंत्र याद।
ठान लें गर हर जन यह, करेंगे न बर्बाद।।
जब था पानी खूब ही, जान सके ना मोल।
अब कर रहे हो ‘शिवम् ’, इस हेतु तुम किकोल।।
बन गया है जल संकट, सबके लिये विकराल।
हो गए हैं सब खाली, कुएँ, नदी और ताल।।
पानी यदि बचाने का, करें हर जन प्रयास।
न तरसेंगे पानी को, रखिए यह विश्वास।।
मचा हुआ चहुँ ओर ही, पानी का संत्रास।
किया नहीं है इस हेतु, पहले से प्रयास।।
पानी अगर मिले नहीं, बचेगी नहीं जान।
इस हेतु होगा एक दिन, युद्ध बड़ा श्रीमान।।
देखो पानी का हुआ, कैसा यारों हाल।
हो रही त्राही-त्राही, मच रहा है बवाल।।