jal hai sona ise na khona small story
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प्रिया दिल्ली में एक बड़े घर में रहती थी। उसके माता पिता काफी धनवान थे। उसे जीवन में कभी किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस हुई थी। इसलिए उसे किसी चीज़ की कीमत नहीं मालूम थी। वह जल, बिजली आदि सभी चीजों का लापरवाही से उपयोग करती थी।
जब वह सुबह ब्रश करती थी, नल खुला छोड़ देती थी। नहाते समय भी कई बाल्टी पानी फेंक देती थी। उसकी नौकरानी उसे ऐसे पानी फेंकने के लिए मना करती थी।
वह उसे बताती थी कि किस तरह उसकी बस्ती में सिर्फ एक घंटे के लिए पानी आता है और कैसे उसे कम पानी में सब काम करना पड़ता है। वह उसे बताती थी कि जल एक अमूल्य वस्तु है जिसके बिना जीवन कठिन है। इसलिए उसे इस तरह फेंकना नहीं चाहिए। प्रिया को उसकी बात अच्छी नहीं लगती थी।
एक समय पर दिल्ली में पानी की कमी हो गयी। एक पूरा दिन सुबह से लेकर रात तक नल में पानी नहीं आया। सुबह जब प्रिया ब्रश करने गयी उसने रोज़ की तरह नल खोला पर वह नींद में थी। मुँह में पेस्ट लगाने के बाद उसे समझ में आया कि नल में पानी नहीं आ रहा है। वह चिल्लाकर किसी से पानी भी नहीं मँगवा सकती थी क्योंकि उसके मुँह में पेस्ट लगा था। उसे बहुत परेशानी हुई।
उस दिन बिना नहाये वह स्कूल गयी। बड़ा ही रुखा दिन था। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगा। खाना खाने के बाद हाथ धोने के लिए भी पानी नहीं था।
शाम को वह खेलने नहीं गयी। पहले से ही उसे इतना पसीना आ रहा था अब वह और गन्दी नहीं होना चाहती थी। रात को उसने खाना भी नहीं खाया और सिर्फ पानी का इंतज़ार करती रही।
उसे पानी की कीमत समझ में आई। उसे यह सोचकर बहुत दुःख हुआ कि उसने कभी पानी की कीमत नहीं समझी। उसने अपने मन में ठान लिया कि वह पानी को कभी बेकार में नहीं फेंकेगी और उसका उचित उपयोग करेगी।
उसने अनुभव किया कि, "जल है सोना इसे न खोना"।