Hindi, asked by ShrutiMishra1, 1 year ago

jal hi jeevan hai par kavita

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Answered by vrik
58
जल ही जीवन है
जल से हुआ सृष्टि का उद्भव जल ही प्रलय घन है
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है।।

शीत स्पर्शी शुचि सुख सर्वस
गन्ध रहित युत शब्द रूप रस
निराकार जल ठोस गैस द्रव
त्रिगुणात्मक है सत्व रज तमस
सुखद स्पर्श सुस्वाद मधुर ध्वनि दिव्य सुदर्शन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

भूतल में जल सागर गहरा
पर्वत पर हिम बनकर ठहरा
बन कर मेघ वायु मण्डल में
घूम घूम कर देता पहरा
पानी बिन सब सून जगत में ,यह अनुपम धन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

नदी नहर नल झील सरोवर
वापी कूप कुण्ड नद निर्झर
सर्वोत्तम सौन्दर्य प्रकृति का
कल-कल ध्वनि संगीत मनोहर
जल से अन्न पत्र फल पुष्पित सुन्दर उपवन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।

बादल अमृत-सा जल लाता
अपने घर आँगन बरसाता
करते नहीं संग्रहण उसका
तब बह॰बहकर प्रलय मचाता
त्राहि-त्राहि करता फिरता, कितना मूरख मन है ।
जल पीकर जीते सब प्राणी जल ही जीवन है ।।
Answered by sangram0111
1

"जल ही जीवन है " पर कविता निम्नवत है -

पानी की महिमा धरती पर, है जिसने पहचानी।

उससे बढ़कर और नहीं है, इस दुनिया में ज्ञानी।।

जिसमें ताकत उसके आगे, भरते हैं सब पानी ।

पानी उतर गया है जिसका, उसकी खतम कहानी।।

जिसकी मरा आँख का पानी, वह सम्मान न पाता।

पानी उतरा जिस चेहरे का, वह मुर्दा हो जाता।।

झूठे लोगों की बातें पानी पर खिंची लकीरें।

छोड़ अधर में चल देंगे वे, आगे धीरे-धीरे।।

जिसमें पानी मर जाता है, वह चुपचाप रहेगा।

बुरा-भला जो चाहे कह लो, सारी बात सहेगा।।

लगा नहीं जिसमें पानी, उपज न वह दे पाता।

फसल सूख माटी में मिलती, नहीं अन्न से नाता।।

बिन पानी के गाय-बैल, नर नारी प्यासे मरते।

पानी मिल जाने पर सहसा गहरे सागर भरते।।

बिन पानी के धर्म-काज भी, पूरा कभी न होता।

बिन पानी के मोती को, माला में कौन पिरोता।।

इस दुनिया से चल पड़ता है, जब साँसों का मेला।

गंगा-जल मुँह में जाकर के, देता साथ अकेला।

उनसे बचकर रहना जो पानी में आग लगाते।

पानी पीकर सदा कोसते, वे कब खुश रह पाते।।

पानी पीकर जात पूछते हैं केवल अज्ञानी।

चुल्लू भर पानी में डूबें, उनकी दुखद कहानी।।

चिकने घड़े न गीले होते, पानी से घबराते।

बुरा-भला कितना भी कह लो, तनिक न वे शरमाते।।

नैनों के पानी से बढ़कर और न कोई मोती।

बिना प्यार का पानी पाए, धरती धीरज खोती।।

प्यार ,दूध पानी-सा मिलता है जिस भावुक मन में।

उससे बढ़कर सच्चा साथी, और नहीं जीवन में।।

जीवन है बुलबुला मात्र बस, सन्त कबीर बतलाते।

इस दुनिया में सदा निभाओ, प्रेम-नेम के नाते।।

#SPJ2

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