Jal hi jivan hai poetry recitation
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पानी आस है पानी प्यास है
आज जो पास है पर शायद
कल बन सकती है एक तलाश
पानी आस है पानी प्यास है!!
धरा और गगन को जोड़े
पानी वो प्रयास है
हर जगह आम है, फिर भी खास है
पानी जीवन का एहसास है
सरल होकर भी विरल है
कभी अमृत है तो कभी गरल है
निराकार होकर भी इसका आकार है
पानी ऊर्जा-स्फूर्ति का आधार है
पंचतत्व का ये अहम किरदार
जीवन के लिए अनिवार्य है
इससे पत्ता-पत्ता, डाली-डाली है
हरियाली है, खुशहाली है
पानी का होता है ना कोई रंग
पर ये रंगों का है अभिन्न अंग
चले जीवन इसके संग
पानी के हैं अपने ढंग
कहीं बहता ये निर्झर कहीं फैला है
सिर्फ रेत और सूखे का मंजर
बिन इसके जमीनें पड़ जाती हैं बंजर
करते हैं लोग मिन्नतें और प्रार्थना
होकर बेकल इसका कतरा भी पाने को
और जहां ये मिलता है आसानी से
वहाँ लोग कतराते भी नहीं इसे
बेवजह बहाने को
कई संस्कृतियों ने पानी को दिया
सर्वोच्च स्थान है
मगर फिर भी मनुष्य इसके महत्व
से नजर आता अनजान है
पूरी मानवता जिसके गुणों से पोषित है
आज वही पानी उनसे ही प्रदुषित है
ऐसा नहीं कि इसके महत्व से कोई
अनभिज्ञ है
पर दुनिया अपनी जरूरतों में ही लिप्त है
यही जो रहेगी दशा तो आनेवाले कल में
होगी बहुत दुर्दशा
रवैया बदलने की जरूरत है अब आन पड़ी
चेतावनी दे रही प्रकृति भी घड़ी-घड़ी
पानी जो जगाए नवचेतना,
थोड़ी तो इसके प्रति भी हो संवेदना
आज जो पास है पर शायद
कल बन सकती एक तलाश है
पानी आस है, पानी प्यास है!!!!