Jal hi jivan he nibandh
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मनुष्य भूखा तो कई दिन रह सकता है लेकिन जल के बिना एक दिन भी नहीं । मनुष्य ही क्या इस धरती का जर प्राणी - पशु और पक्षी भी जल के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते । बिना जल के तो पेड़ - पौधे भी जीवित नहीं रह सकते । शायद इसीलिए जल की जीवन कहा गया है । लेकिन क्या हम आज जल का महत्व समझ पा रहे हैं , जी नहीं बिलकुल नहीं । आज हमने ऐसी परिस्थितियाँ खड़ी कर दी हैं की हमारी आने वाली पीढ़ी को जल नशीब ही नहीं होगा । अगर समय रहते हमने अपनी भूलों की नहीं सुधारा तो आने वाले वक़्त में भरी जल संकट का सामना पूरी दुनिया को करना पद सकता है । हमें जरूरत है जल - संवर्धन की , हमें जरूरत है जल प्रदूषण को रोकने की , हमें जरूरत है जल को व्यर्थ करने की आदत को रोकने की । आइये हम सभी मिलकर जल ही जीवन है इस वाक्य को अंतरात्मा से अपनाए और अपने जीवन को बचाने का प्रण लें ।
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I hope its help you
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जल (Jal Hi Jeevan Hai) उन प्रमुख तत्वों में से एक है। जो पृथ्वी पर रहने वाली सभी सजीव प्राणियों को जीवन-प्रदान करती है। क्योंकि जल के बिना पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना करना नामुमकिन साबित होती है। जल के बिना न सिर्फ सजीव जगत की बल्कि इस हरी-भरी धरती की भी कल्पना नहीं की जा सकती है।
क्योंकि ये पेड़-पौधे, नदी-तालाब, झील-सरोवर के कारण ही तो धरती हरी-भरी और सुंदर दिखती हैं। और ये सभी तब रहेंगे जब इन्हें जल पर्याप्त मात्रा में मिलती रहेगी। इसलिए तो जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के महत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, समस्त मानव शरीर में करीब 70% हिस्से जल ही मौजूद रहती है।
इसलिए तो जल के बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव होता है। जिस प्रकार हमे जीवित रहने के लिए श्वास लेना जरूरी है। ठीक उसी प्रकार जल लेना भी आवश्यक है। इस प्रकार हम कर सकते हैं कि, पृथ्वी के समस्त सजीव प्राणियो के लिए जल की महत्ता अमृत से कम नहीं है। परंतु आधुनिकता के इस दौड़ में लोग आज बेहिसाब जल को प्रदूषित करते जा रहे हैं। जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने खड़ी है।
जो है जल संकट हमारे ख्याल से आज जल प्रदूषण (Water Pollution) का सबसे बड़ा कारण है। कल- कारखाने, क्योंकि इस कल-कारखाने से निकलने वाली सभी दूषित पदार्थ बड़ी-बड़ी नदियों में छोड़ दिए जाते हैं। जिससे नदियों की जल विषैली और दूषित हो जाती है। आज लोग यह नहीं समझते कि, जिस प्रकार धरती पर पाई जाने वाली अन्य संसाधन हमारे लिए सीमित मात्रा में उपलब्ध है।
उसी प्रकार जल भी हमारी पृथ्वी पर सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। परंतु लोग इस बात को समझ नहीं रहे हैं और जल को प्रदूषित करने की स्थिति अगर ऐसी ही बनी रही तो शायद कुछ वर्षों के आने वाली पीढ़ी के लोगों को पीने योग्य जल का दर्शन करना भी मुश्किल सा हो जाएगा आज प्रदूषित जल पीने से ना जाने कितनी बीमारियां पनप रही है इन बातों से स्पष्ट हो जाता है कि अगर जीवित रहना है तो जल को दूषित होने से बचाना होगा।