Jal Jeev aur Jivan Sambhavna Shashi per Bhav spasht kijiye
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जल एक अनमोल प्राकृतिक संपदा है, जो प्रकृति द्वारा वरदान स्वरूप इस संपूर्ण जगत को प्राप्त है। हमारी पृथ्वी पर इसके पूरे क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत जल है, परंतु पृथ्वी के समूचे जल का मात्र 2.6 प्रतिशत ही पीने योग्य (मीठा जल) है, जिसमें 1.8 प्रतिशत भाग बर्फ के रूप में उपस्थित है एवं मानव को उपभोग हेतु सिर्फ 0.8 प्रतिशत भाग जल ही मिल पाता है।
पानी का उपयोग विभिन्न जीव-जंतु भिन्न-भिन्न रूपों से करते हैं। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार जल ही एकमात्र ऐसा द्रव पदार्थ है जो रंगहीन, स्वादहीन एवं गंधहीन होने के बावजूद मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट-पतंगों व पेड़-पौधों के साथ-साथ प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधनों के निर्माण में भी अत्यावश्यक है। यद्यपि सागरों में जल की सर्वाधिक मात्रा अवस्थित रहती है तथापि एक लीटर सागरीय जल मे 35 ग्राम तक लवणीयता रहने के कारण इसका प्रयोग ज्यादातर स्थलीय जंतुओं के लिए उचित नहीं है। प्राकृतिक एवं अम्ल रहित वर्षा से प्राप्त ताजा जल ही पृथ्वी पर सबसे शुद्ध जल के रूप में होता है।