जल के निर्माण व अस्तित्व-चक्र कम वणाि।
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जल के निर्माण व अस्तित्व-चक्र
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भूमि सतह के समीप के भूजल को पौधे लेते है । कुछ भूजल का नदियों तथा झीलों से रिसाव हो जाता है तथा सतह पर झरने के रूप में प्रवाह होता है । पौधे भूजल को ग्रहण करते हैं तथा अपनी पत्तियों से वाष्पन उत्सर्जन या भाप में परिवर्तित करते हैं । कुछ भूजल भूमि में बहुत गहराई में चला जाता है और बहुत लम्बे समय तक वहां रहता है ।
- सूरज की गरमी पानी/जल चक्र को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है
- सूरज समुद्र से पानी को भाप बना कर पानी की बूंद में बदल देता है
- यह न दिखने वाली भाप वातावरण में ऊपर जाती है जहां वायु ठण्डी है
- पानी की भाप ठंडी हो कर संघनन बादलों में बदल जाती है
- ज्वालामुखी भाप बनाते हैं जोकि बादलों का निर्माण करते हैं
- वायु तरंगें बादलों को पृथ्वी के चारों तरफ ले जाती हैं
- बादलों के रूप में बनी जल की बूंदे, जोकि बारिश (वर्षा या बर्फ) के रूप में धरती पर गिरती है ।
- ठण्डी जलवायु में, वर्षण हिम, बर्फ और ग्लेशियर का निर्माण करती हैं
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