जल मानव जाति के लिए प्रकृति के अनमोल उपहारों में से एक है। मानव शरीर में दो तिहाई मात्रा जल की है। यह तरल , ठोस एवं गैस रूप में विद्यमान होता है। समुद्र नदी तालाब पोखर कुओं , नहर इत्यादि इसके प्रमुख स्त्रोत हैं। यह पाचन कार्य करने के लिए शरीर में मदद करता है और हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यह सार्वभौमिक विलायक है जल के महत्व को समझते हुए भी मनुष्य ने इसे दूषित करना प्रारंभ कर दिया है। जल -प्रदूषण और बर्बादी के परिणाम स्वरूप अब हमारे पीने के लिए ही शुद्ध जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जल जीवन के अमृत के रूप में जाना जाता है, इसलिए जीवन को बचाने के लिए जल का संरक्षण अति आवश्यक है।
जलवायु परिवर्तन आर ग्लोबल वार्मिंग की वजह से कितने ही दुवीप देखते ही देखते काल के गर्त में चले गए समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है कार्बन उत्सर्जन से तापमान बढ़ रहा है। बढ़ते तापमान से ग्लेशियर पिघल रहे हैं , नदियों में पानी नहीं है। पानी में आर्सेनिक , क्लोराइड और अब तो यूरेनियम तक मिल रहा है। समस्या के विकराल होने का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि आए दिन जल को लेकर झगड़े न केवल लोगों के बीच बल्कि राज्यों और देशों के बीच भी हो रहे हैं।
1. उपरोक्त समस्या के संदर्भ में अपने विचार लिखिए ?
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जल, मानव जाति के लिए प्रकृति के अनमोल उपहारों में से एक है। ... जल तरल, ठोस एवं गैस रूप में विद्यमान होता है। जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह समृद्र, नदी, तालाब, पोखर, कुआं, नहर इत्यादि में पाया जाता है।
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