जल मछलियों का मोह कब छोड़ देता है ? रहीम के दोहे class 7 के अनुसार
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जब वे जाल में फंस जाते हैं
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जल मछलियों का मोह छोड़ने की बात रहीम दास के दोहे "मछली जल की रानी है" से जुड़ी हुई है। उनके इस दोहे के अनुसार, जब तक जल मछलियों को अपनी राजधानी के रूप में नहीं माना जाता, तब तक उन्हें जल में रहने का मोह नहीं छूटता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि जल मछलियों का मोह छोड़ने के लिए उन्हें समझाने और सम्मान देने की आवश्यकता होती है।
Explanation:
जल मछलियों का मोह छोड़ने का समय नहीं होता, यह उनकी स्वभाविक प्रकृति है। इसे समझाने के लिए, हम रहीम के एक दोहे को समझ सकते हैं:
पानी गया तन धोए,
मति मंगवाय कोए।
इस दोहे में रहीम ने जल मछलियों के स्वभाव को बताया है। जल मछलियों की प्रकृति होती है कि वे पानी में ही रहते हैं और जल के बिना वे नहीं रह सकते। इसलिए, जल मछलियों का मोह कभी नहीं छूटता।
दोहे का दूसरा पंक्ति यह बताती है कि जल मछलियों के लिए उनकी मति (जिसे वे खाते हैं) तो कोए (कुआँ) से ही मिलती है, इसलिए उन्हें अपनी मति के लिए कोए के पास ही रहना होता है।
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