जल नहीं तो हम नहीं पर अनुच्छेद
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मनुष्य को पीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। कृषि के लिए पानी की आवश्यकता होती है। किसी नें सही कहा है, जल है तो कल है। हमें व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए, और अपने घरों और आस-पास को साफ रखने के लिए पानी की आवश्यकता है। कई औद्योगिक प्रक्रियाओं को भी पानी की आवश्यकता होती है।
पीने के लिए सभी स्थलीय जीवन रूपों द्वारा पानी की आवश्यकता होती है। पशु भी गर्मियों में एक नदी के ठंडे पानी में डुबकी लगाते हैं। समुद्री और जलीय जीवों के लिए जल निकाय उनके आवास हैं। पानी के कारण सभी वनस्पतियाँ भी बच जाती हैं। यदि पानी न हो तो सभी जीवन रूप और वनस्पति नष्ट हो जाएंगे। पानी एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है जिसका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।
Explanation:
जल है तो कल है”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।
नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।