जल और सत्यजनित रोगों से बचाव के लिए क्या उपाय करे।
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Pantoprazole is used to treat certain stomach and esophagus problems (such as acid reflux). It works by decreasing the amount of acid your stomach makes. This medication relieves symptoms such as heartburn, difficulty swallowing, and persistent cough
इसके लिए क्या सावधानियां जरूरी है?
बारिश आदि के मौसम में जब रोगों का प्रकोप ज्यादा होता है तो हमेशा बीस मिनट उबाला हुआ पानी ही पीएं। हालाँकि आजकल पानी के अच्छे-अच्छे फिल्टर बाजार में उपलब्ध हैं, परन्तु उनकी कीमत अधिक है, जिस कारण हर कोई उन्हें नहीं खरीद सकता। पानी को पीने लायक बनाने के लिए बीस लिटर पानी में एक क्लोरीन की गोली डाल सकते हैं। क्लोरीन की गोली को करीब आधा घण्टे तक पानी में डालकर छोड़ दें और आधे घण्टे बाद ही पानी इस्तेमाल में लाएं। पानी को बीस मिनट उबालने से उसमें मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते हैं, ऐसे ही क्लोरीन भी आधे घण्टे में जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों को खत्म कर देता है। इसी प्रकार भोजन भी अच्छी तरह पका होना चाहिए और हमेशा गर्म-गर्म भोजन का ही सेवन करना चाहिए। अधिक देर करने से भोजन में बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ने लगती है।
ऐसे किसी भी पदार्थ का सेवन न करें जिसमें बाजार की बर्फ डाली गई है, क्योंकि ज्यादातर बाजार में बिकने वाली लस्सी, शिकंजी आदि में दूषित बर्फ ही डली होती है। घर का बना ताजा खाना ही खाएं। कटे हुए फल बाजार से न खाएं, ऐसे फलों का सेवन करना सुरक्षित रहता है जिन पर छिलके होते हैं, जैसे संतरा, केला आदि। अगर बच्चे को पेचिश या दस्त लग जाएं तो उसे नमक-चीनी का घोल बनाकर दें या फिर दाल का पानी भी दे सकते हैं। रोग से पीड़ित वयस्क भी खूब पानी का सेवन करें। आजकल बाजार में ओआरएस घोल उपलब्ध है, जिसे पानी में घोल कर पीते हैं।
घर के आसपास पानी को जमा न होने दें, इसी पानी में मच्छर पनपते हैं। अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। नहाने-धोने के पानी को पीने के पानी से अलग रखें। पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें। कई बार साफ पानी भी ऊपर से गिरी गंदगी, दूषित हाथों या गन्दे बर्तनों से दूषित हो जाता है, इसीलिए पीने के पानी को निकालने का बर्तन लम्बे हैण्डल का होना चाहिए। बोतल बन्द पानी भी एक बार खुलने के बाद बाहरी गन्दगी से दूषित हो सकता है। शक होने पर या पानी के ज्यादा पुराना होने पर बोतल के पानी को भी बीस मिनट तक उबालें।
प्रकृति ने सभी जीवों को इस धरती पर जीने का पूरा मौका दिया है और मानव को इन सभी जीवों में सबसे अक्लमन्द और जागरूक बनाया है। हम अपनी ही नासमझी से इन रोगों की चपेट में आ जाते हैं। प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन के लालच से हमें बचना होगा और जल संरक्षण की अपनी परम्परा को हमें फिर से अपनाना होगा। जल हमेशा से जीवन का आधार रहा है परन्तु हमारी ही गलतियों से यह जल हमारे जीवन के लिए घातक हो जाता है। पानी को न खुद गन्दा करें और न ही किसी और को गन्दा करने दें, स्वच्छ पानी की जिम्मेदारी हमारी अपनी है। हमें हर तरह से अपने जल स्रोतों जैसे भूमिगत जल, तालाब, नदियों आदि को दूषित होने से बचाना होगा। अपने लिए, अपने बच्चों के लिए, इस नीले जीवन भरे ग्रह यानि धरती पर सतत जीवन के लिए।
इसके लिए तो सबसे जरूरी है कि टंकियों की समय-समय पर नियमित रूप से सफाई हो और अपनी व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय निकाल कर हम टंकियों के ढक्कन हटा कर यह देखें कि उसमें कोई जीव जंतु तो नहीं गिरा। यही नहीं टंकियों को सप्ताह में एक बार पूरी तरह से खाली कर देना चाहिए। अक्सर पानी पर्याप्त प्रयोग न होने की सूरत में टंकियों में सड़ता रहता है। कई दिनों का सड़ा हुआ पानी का सेवन करने से पीलिया व ज्वर होता है। इसलिए सबसे पहले तो पानी की शुद्धता ही आवश्यक है। रसोई में पानी आने पर उसका आरओ से शुद्धिकरण हो और विभिन्न कंपनियों के आरओ पर भी आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए और इस पानी को अगर उबाल लिया जाए, तो यह सबसे बेहतर उपाय है।