जल प्रदुषण के कोई पांच कारण लिखें
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भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण शहरीकरण और उसकी अनियंत्रित दर है। पिछले एक दशक में शहरीकरण की दर बहुत तेज गति से बढ़ी है या हम ऐसा भी कह सकते हैं कि इस शहरीकरण ने देश के जल स्त्रोतों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इसकी वजह से लंबी अवधि के लिए कई पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो गई हैं। इनमें जल आपूर्ति की कमी, पानी के प्रदूषित होने और उसके संग्रहण जैसे पहलू प्रमुख हैं। इस संबंध में प्रदूषित पानी का निपटान और ट्रीटमेंट एक बहुत बड़ा मुद्दा है। नदियों के पास कई शहर और कस्बे हैं, जिन्होंने इन समस्याओं को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
इन इलाकों में अनियंत्रित शहरीकरण से सीवेज का पानी बन रहा है। शहरी इलाकों में नदियों, तालाबों, नहरों, कुओं और झीलों के पानी का इस्तेमाल घरेलू और औद्योगिक आवश्यकताओं लिए होता है। हमारे घरेलू इस्तेमाल का 80 प्रतिशत पानी खराब हो जाता है। ज्यादातर मामलों में पानी का ट्रीटमेंट अच्छे से नहीं होता और इस तरह जमीन की सतह पर बहने वाले ताजे पानी को प्रदूषित करता है।
यह प्रदूषित जल सतह से गुजरकर भूजल में भी जहर घोल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 16,662 मिलियन लीटर खराब पानी एक दिन में निकलता है। आश्चर्य इस बात का है कि इन शहरों के 70 प्रतिशत लोगों को सीवेज की सुविधा मिली हुई है। गंगा नदी के किनारों पर बसे शहरों और कस्बों में देश का करीब 33 प्रतिशत खराब पानी पैदा होता है।
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