Art, asked by supriyasoni78, 3 months ago

जल रंग की विधि बताएं विस्तार पूर्वक वर्णन करें |​

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Answered by nishakankarwal51
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Explanation:

जल रंग (अंग्रेज़ी: Water Color) अर्थात् ऐसे रंग, जिनको पानी के साथ घोलकर प्रयोग में लाया जाता है। जल रंग से काम करने का चलन बहुत पुराना है। आजकल जल रंग कई आकार में उपलब्ध हैं। कभी ये चौकोर टुकड़े में, कभी ट्यूब में तथा कभी तैयार शीशियों में मिलते हैं।

तकनीकी तौर पर जल रंग का एक-दूसरे में मिश्रण किया जाता है।

ये रंग एक-दूसरे के अगल-बगल भी रखे जाते हैं और एक-दूसरे के ऊपर भी इन्हें लगाया जाता है।

जल रंगों को पारदर्शी भी बनाया जा सकता है। ये रंग जल्दी सूख जाते हैं, जिससे काम भी जल्दी हो जाता है।

जहाँ तक यूरोपियन कला की बात है, रेनेसा के बाद से तैलीय रंगों की प्रमुखता रही है। जल रंग किसी-किसी दौर में ही महत्वपूर्ण रहे हैं। अगर भारतीय कला की बात की जाये तो कुछ वर्षों में इस विधि के प्रति कलाकारों का रुझान बढ़ा है। अनेकों अनेक प्रदर्शनियों में जल रंग का प्रयोग प्रमुखता से दिखा है। कुछ कलाकारों का मानना है कि जल रंग में प्राकृतिक चित्र बहुत ही ख़ूबसूरती से उभर के सामने आता है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने चित्रों का माध्यम तेलीय रंग चुना था, परंतु बाद में उन्होंने भी इस विधि का प्रयोग शुरू किया। उनका कहना था कि तैलिय रंग जल्दी नहीं सूखते और ये उनकी प्रकृति नहीं। अत: उन्होंने जल रंग का प्रयोग किया।

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