जल संचय पर स्वरचित कहानी
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Answer:मत करो मुझको बर्बाद (जल संकट कविता)
Explanation:प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे। संकट आएगा जब तुम पर, तब मेरे बारे में सोचोगे। मेरी बर्बादी के कारण, मेरी उम्र भी घटती है। खत्म हो जाए खेल मेरा, लौट के फिर न वापस आऊं।
Answer:
मैं पानी हूँ
आपकी आँखों का पानी
प्यासे की प्यास
बुझाने वाला पानी
रंगहीन, गंधहीन पानी
झील नदी नालों
पोखरों
तालाब और कुँए का पानी
वर्षा का पानी
ओस का पानी
समुन्दर का लहलहाता
इठलाता बलखाता पानी
बर्फ़ का जमा
बादलों का वाष्पित पानी।
नदियों में बहता
तालाब पोखरों में बँधता
बादलों में आसमान छूता
उड़ता बरसता
फिर बहता
मैं रूकता नहीं
मैं चलता रहता हूँ
अपनी मंज़िल की ओर
सारा जहाँ मेरी मंज़िल।
समंदर मेरा अन्तिम पड़ाव
जहाँ पर भी
मैं मारता हिलोरे
और उड़ जाता
बादल बन कर।
मेरे बिना जीवन नहीं
मेरे बिना जग नहीं
मैं ना गिरूँ तो
पड़ जाता सूखा
मैं बरस पड़़ूँ
तो आ जाती बाढ़।
मेरे जीवन चक्र
को मत रोको
मैं अनमोल हूँ
मुझे सहेजो।
Explanation: