जल संकट
भारत में अलवण
अलवण जल
विवेचन कीजिए तथा
संधारणीय प्रबंधन की कपरेखा तैयार
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Answers
Explanation:
जल, मानव अस्तित्व को बनाए रखने के लिये एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है। यह न केवल ग्रामीण और शहरी समुदायों की स्वच्छता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि कृषि के सभी रूपों और अधिकांश औद्योगिक उत्पादन प्रक्रियाओं के लिये भी आवश्यक है। परंतु विशेषज्ञों ने सदैव ही जल को उन प्रमुख संसाधनों में शामिल किया है जिन्हें भविष्य में प्रबंधित करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत एक गंभीर जल संकट के कगार पर है। मौजूदा जल संसाधन संकट में हैं, देश की नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जल संचयन तंत्र (Water-Harvesting Mechanisms) बिगड़ रहे हैं और भूजल स्तर लगातार घट रहा है। इन सभी के बावजूद जल संकट और उसके प्रबंधन का विषय भारत में आम जनता की चर्चाओं में स्थान नहीं पा सका है।भारत में जल उपलब्धता व उपयोग के कुछ तथ्यों पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताज़े जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद है जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत (भारतीय आबादी) हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है।
आँकड़ों के अनुसार, लगातार दो साल के कमज़ोर मानसून के बाद देश भर में लगभग 330 मिलियन लोग (देश की एक चौथाई आबादी) गंभीर सूखे के कारण प्रभावित हुए हैं।
नीति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में जारी कम्पोज़िट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में बताया गया है कि देश भर के लगभग 21 प्रमुख शहर (दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और अन्य) वर्ष 2020 तक शून्य भूजल स्तर तक पहुँच जाएंगे एवं इसके कारण लगभग 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे।
साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारत में जल की मांग, उसकी पूर्ति से लगभग दोगुनी हो जाएगी।
देश में वर्ष 1994 में पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 6000 घनमीटर थी, जो वर्ष 2000 में 2300 घनमीटर रह गई तथा वर्ष 2025 तक इसके और घटकर 1600 घनमीटर रह जाने का अनुमान है।
आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 970 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है।
जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 70 प्रतिशत लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगहों में रहने को मजबूर हैं।
यदि देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में सामने आया था कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जाने वाला पानी BSI मानकों पर खरा नहीं उतरता है और वह पीने योग्य नहीं है।
भारत में तकरीबन 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है, जिसकी वजह से जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर था