जल संकट पर निबंध ?
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जल संकट पर निबंध
पूरे संसार में किसी भी जीव को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता है. बिना जल के इस सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं है. जल किसी भी जीव के लिए वह चाहे मनुष्य हो या कोई भी पशु-पक्षी या कोई कीट-पतंग सभी को जल की आवश्यकता होती है.
जल एक मूलभूत आवश्यक तत्व है जैसे स्वांस लेने के लिए हवा या भूख मिटाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है.
जल संकट पर निबंध
दोस्तों प्रकृति ने इस धरती के जीवो के अस्तित्व के अनुकूल सभी चीजें बनाई है, जो इन्हें जीवन प्रदान करती है जैसे हवा, भूमि, भोजन तथा जल परंतु फिर भी हमें इन चीजों की संकट क्यों महसूस होती है? क्यों हमें आज जल संकट पर निबंध लिखना पड़ रहा है? हमारी पृथ्वी का लगभग 3 भाग जल है फिर भी जल संकट में है ऐसा क्यों कहा जाता है?
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आइए इन प्रश्नों को बारीकी से समझने की कोशिश करते हैं, मित्रों अगर किसी भी समस्या के कारणों को ही समझा जाए तो फिर वह समस्या कोई समस्या नहीं रह जाती है. जैसे जल संकट एक समस्या है तो हम इसके कारणों को जानने की कोशिश करते हैं फिर हमें इसका समाधान भी खुद ब खुद मिल जाएगा.
हमारी पृथ्वी पर लगभग 3 भाग जल ही है और मात्र 1 भाग स्थल. इतना जल होने के बाद भी पृथ्वी के मनुष्य, जीव-जंतु ,सभी जल के संकट का अनुभव करते हैं, और इसका कारण यह है कि पूरे जल की मात्रा में मात्र 3 से 4% जल ही पीने योग्य है बाकी सभी 96 से 97% समुद्र के नमकीन जल हैं। जल संकट पर निबंध
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आज से 200 से 300 साल पहले पृथ्वी की यह स्थिति नहीं थी. पृथ्वी पर इतना जल था कि वह सारे पृथ्वी के सारे जीवो की आवश्यकता को पूरा कर सकता था. परंतु आज वह स्थिति नहीं रह गई है, आज की दुनिया में कई देश और शहर में zero day हो गया है.
जल संकट के कारण और उसका निदान
मित्रों ऐसे तो आज के समय में जल संकट के अनेकों-अनेक कारण है. परंतु आज मैं आपको इस के कुछ मुख्य कारणों को बताऊंगा, जिससे ज्यादा प्रभावित किया जाता है-
1. दुनिया की बढ़ती जनसंख्या
आज सारी फसाद की जड़ तेजी से बढ़ती जनसंख्या है. आज जितनी भी वैश्विक समस्याएँ है सभी का एक कारण बढ़ती जनसंख्या है. जनसंख्या के कई गुना हो जाने से जल का उपयोग की मात्रा भी कई गुना हो गई है. इससे कई और समस्याएं उत्पन्न होती जा रही है. जल संकट पर निबंध
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2.वनों का उन्मूलन
जल संकट में होने का एक सबसे बड़ी कारण वनों का उन्मूलन है. आज मनुष्य अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए वनों को तेजी से साफ करते हुए जा रहा है. जिसके कारण जलवायु पूरी तरह प्रभावित होती जा रही है, और इसके कारण वर्षा में अनिश्चितता हो गई है. कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ कहीं, अल्पवृष्टि तो कहीं मध्यवृष्टि होने लगी है.
वनों उन्मूलन होने से मिट्टी की जलधारण क्षमता दिनोंदिन कम होती जा रही है, और भोम जल की मात्रा कम होकर पाताल पहुंच रही है. जल संकट पर निबंध
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3.नदियों ओर तालाबों का अतिक्रमण
आज मानव अपनी बढ़ती जनसंख्या और उसके जरूरत को पूरा करने के लिए धरती की वह सभी नदियों और तालाबों को भरता जा रहा है. और उसके जगह पर बड़े-बड़े कल-कारखाने, मकान, कंपनी की बिल्डिंग बनती जा रही है.
जिससे वर्षा के मीठे जल को संग्रह कर पाना बहुत ही मुश्किल बना दिया है. और सारे मीठे जल बहकर समुद्र तक पहुंच रहे हैं. आज पूरी पृथ्वी पर नदियों और तालाबों की संख्या आधे से भी कम हो चुकी है और यह जल संकट का एक प्रमुख कारण बन गया है. जल संकट पर निबंध
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4. भूमि अतिक्रमण
आज जल संकट मैं आने का एक सबसे बड़ा कारण है भूमि का अतिक्रमण करना. आज दिनों दिन कितने सड़क, बिल्डिंग, स्टेज बनते जा रहे हैं. जिसके कारण बरसात की जल से भूमि सिंचित नहीं हो पा रही है.
क्योंकि आज सभी जगह जमीन में सीमेंट का प्लास्टर किया जा रहा है और बरसात का पानी जमीन में नहीं सूख कर व्यर्थ बहा जा रहा है.
अगर पृथ्वी को पहले पानी से सिंचित नहीं किया जाएगा यानी उसे पानी नहीं पिलाया जाएगा तो वह हमें भूमि जल के रूप में मीठा जल कहां से प्रदान करेगी. आज भूमि का सबसे ज्यादा जल स्तर शहरों में ही नीचे क्यों जा रहा है? जल संकट पर निबंध
वह इसलिए कि शहरों में हर जगह जमीन पर सीमेंट का प्लास्टर किया हुआ मिल जाता है जिसके कारण वहां की धरती बारिश के पानी को अवशोषित नहीं कर पाती, और वहां का जलस्तर दिनोंदिन नीचे होती जा रही है।
संबंधों की समझ
मित्रों, महात्मा गांधी जी के बात आज सचमुच सही होता हुआ दिख रहा है. उन्होंने कहा था कि यह प्रकृति पूरे प्राणी की आवश्यकता को पूरा कर सकती है परंतु यह किसी एक के भी महत्वाकांक्षा को पूरी नहीं कर सकता है. जल संकट पर निबंध
मित्रों, सिर्फ़ यही एक रास्ता है जिससे हम आगे के होने वाले महाविनाश को रोक सकते हैं. हम अपनी महत्वाकांक्षा को त्याग कर सिर्फ अपनी आवश्यकता को ही पूरी करें, जिससे कि आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर दुनिया दे सके और यही हमारी कर्तव्य और धर्म भी है.
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