जल संसाधन क्या है? जल के संरक्षण के उपायो का वर्णन कीजिए।
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जल संरक्षण का अर्थ है
जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना।
- धीमी गति के शावर हेड्स (कम पानी गरम होने के कारण कम ऊर्जा का प्रयोग होता है और इसीलिए इसे कभी-कभी ऊर्जा-कुशल शावर भी कहा जाता है)![कृपया उद्धरण जोड़ें]
- धीमा फ्लश शौचालय एवं खाद शौचालय. चूंकि पारंपरिक पश्चिमी शौचालयों में जल की बड़ी मात्रा खर्च होती है, इसलिए इनका विकसित दुनिया में नाटकीय असर पड़ता है।
- शौचालय में पानी डालने के लिए खारे पानी (समुद्री पानी) या बरसाती पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- फॉसेट एरेटर्स, जो कम पानी इस्तेमाल करते वक़्त 'गीलेपन का प्रभाव' बनाये रखने के लिए जल के प्रवाह को छोटे-छोटे कणों में तोड़ देता है। इसका एक अतिरिक्त फायदा यह है कि इसमें हाथ या बर्तन धोते वक़्त पड़ने वाले छींटे कम हो जाते हैं।
- इस्तेमाल किये हुए पानी का फिर से इस्तेमाल एवं उनकी रिसाइकिलिंग:
- शौचालय में पानी देने या बगीच
- नली बंद नलिका, जो इस्तेमाल हो जाने के बाद जल प्रवाह को होते रहने देने के बजाय बंद कर देता है।
उपाय :-
1. हर नागरिक में जल संरक्षण हेतु जागरूकता लानी होगी।
2. हर नागरिक शावर की जगह बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें।
3. सेविंग करते समय नल बंद रखें।
4. बर्तन धुलते समय नल के स्थान पर टब का प्रयोग करें।
5. उत्तराखंड जल संसाधन के अनुसार, ‘‘टॉयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में पानी भरकर रख देने से हर बार एक लीटर जल बचाया जा सकता है।
6. गाँव और शहरों में पहले तालाब हुआ करते थे जिनमें जल एकत्र रहता था जो न केवल पानी के स्तर को आस-पास बचाये रखता था बल्कि दैनिक उपयोग के काम आता था। आज गाँवों और शहरों के तालाबों को पाट कर घर बना लिये गए हैं। अतः जरूरी है कि जल संरक्षण हेतु गाँव और शहरों में तालाब फिर से खोदे जाएँ।
7. गंदे जल का सिंचाई में उपयोग करके भी जल संरक्षण किया जा सकता है।
8. वर्षा का जल छत पर संरक्षण कर उसका उपयोग करना। इसलिये छत पर पानी टंकी बनाना होगा।
9. सार्वजनिक स्थल के नल की टोटी अक्सर खराब रहती है उसकी मरम्मत कर तथा लोगों में जागरूकता लाकर हजारों लीटर पानी संरक्षित किया जा सकता है।
10. पर्यावरण के प्रति जागरूकता जरूरी है क्योंकि पर्यावरण संतुलन का सकारात्मक प्रभाव जल संरक्षण पर पड़ता है। कटते वृक्षों के कारण भूमि की नमी लगातार कम हो रही है जिससे भूजल स्तर पर बुरा असर पड़ रहा है। अतः जरूरी है कि वृक्षारोपण कार्यक्रम हेतु जागरूकता लाई जाए।
11. नदियों के जल में गंदा पानी कदापि नहीं छोड़ा जाय जिससे जरूरत पर उस जल का प्रयोग पीने तथा अन्य उपयोगों हेतु किया जा सके।