Hindi, asked by surajsaha9211pagc9k, 1 year ago

Jal Sanrakshan ke 10 upay

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Answered by AmishaDudi
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Hi !!! here is your answer...☺️


1.सबको जागरूक नागरिक की तरह `जल संरक्षण´ का अभियान चलाते हुए बच्चों और महिलाओं में जागृति लानी होगी। स्नान करते समय `बाल्टी´ में जल लेकर `शावर´ या `टब´ में स्नान की तुलना में बहुत जल बचाया जा सकता है। पुरूष वर्ग ढाढ़ी बनाते समय यदि टोंटी बन्द रखे तो बहुत जल बच सकता है। रसोई में जल की बाल्टी या टब में अगर बर्तन साफ करें, तो जल की बहुत बड़ी हानि रोकी जा सकती है।

2. टॉयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भरकर रख देने से हर बार `एक लीटर जल´ बचाने का कारगर उपाय उत्तराखण्ड जल संस्थान ने बताया है। इस विधि का तेजी से प्रचार-प्रसार करके पूरे देश में लागू करके जल बचाया जा सकता है। 

3. पहले गाँवों, कस्बों और नगरों की सीमा पर या कहीं नीची सतह पर तालाब अवश्य होते थे, जिनमें स्वाभाविक रूप में मानसून की वर्षा का जल एकत्रित हो जाता था। साथ ही, अनुपयोगी जल भी तालाब में जाता था, जिसे मछलियाँ और मेंढक आदि साफ करते रहते थे और तालाबों का जल पूरे गाँव के पीने, नहाने और पशुओं आदि के काम में आता था। दुर्भाग्य यह कि स्वार्थी मनुष्य ने तालाबों को पाट कर घर बना लिए और जल की आपूर्ति खुद ही बन्द कर बैठा है। जरूरी है कि गाँवों, कस्बों और नगरों में छोटे-बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।

4. नगरों और महानगरों में घरों की नालियों के पानी को गढ्ढे बना कर एकत्र किया जाए और पेड़-पौधों की सिंचाई के काम में लिया जाए, तो साफ पेयजल की बचत अवश्य की जा सकती है।

5. अगर प्रत्येक घर की छत पर ` वर्षा जल´ का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाई जाएँ और इन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढ़क दिया जाए तो हर नगर में `जल संरक्षण´ किया जा सकेगा।

6. घरों, मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों, स्कूलों अस्पतालों, दुकानों, मन्दिरों आदि में लगी नल की टोंटियाँ खुली या टूटी रहती हैं, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बरबादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दण्डात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी। 

7. विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने योग्य बनाया जा रहा है, गुजरात के द्वारिका आदि नगरों में प्रत्येक घर में `पेयजल´ के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए `खारेजल´ का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है, इसे बढ़ाया जाए। 

8. गंगा और यमुना जैसी सदानीरा बड़ी नदियों की नियमित सफाई बेहद जरूरी है। नगरों और महानगरों का गन्दा पानी ऐसी नदियों में जाकर प्रदूषण बढ़ाता है, जिससे मछलियाँ आदि मर जाती हैं और यह प्रदूषण लगातार बढ़ता ही चला जाता है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके, इसके लिए शासन-प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा। 

9. जंगलों का कटान होने से दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण न होने से वर्षा नहीं हो पाती और दूसरे भूमिगत जल सूखता जाता हैं। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुंध कटान से भूमि की नमी लगातार कम होती जा रही है, इसलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना जरूरी है। 

10. पानी का `दुरूपयोग´ हर स्तर पर कानून के द्वारा, प्रचार माध्यमों से कारगर प्रचार करके और विद्यालयों में `पर्यावरण´ की ही तरह `जल संरक्षण´ विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ा कर रोका जाना बेहद जरूरी है। अब समय आ गया है कि केन्द्रीय और राज्यों की सरकारें `जल संरक्षण´ को अनिवार्य विषय बना कर प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को पढ़वाने का कानून बनाएँ। 

hope it will help you...

plz plz mark as brainliest... ☺️

AmishaDudi: thanks
AmishaDudi: plz dont pass such comments
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