Hindi, asked by naseemdarugar, 2 months ago

जलपुट आनि धरनि पर राख्यौ
गहि आन्यौ वह चंद दिखावै।। answer in hindi​

Answers

Answered by Shauryakumar632007
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Explanation:

बार-बार जसुमति सुत बोधति, आउ चंद तोहि लाल बुलावै ।

मधु-मेवा-पकवान-मिठाई, आपुन खैहै, तोहि खवावै ॥

हाथहि पर तोहि लीन्हे खेलै नैकु नहीं धरनी बैठावै ।

जल-बासन कर लै जु उठावति, याही मैं तू तन धरि आवै ॥

जल-पुटि आनि धरनि पर राख्यौ, गहि आन्यौ वह चंद दिखावै ।

सूरदास प्रभु हँसि मुसुक्याने, बार-बार दोऊ कर नावै ॥

भावार्थ :-- श्रीयशोदा जी अपने पुत्र को चुप करने के लिये बार-बार कहती हैं-`चन्द्र! आओ । तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है । यह मधु, मेवा, पकवान और मिठाइयाँ स्वयं खायेगा तथा तुम्हें भी खिलायेगा । तुम्हें हाथ पर ही रखकर (तुम्हारे साथ)खेलेगा, थोड़ी देर के लिये भी पृथ्वी पर नहीं बैठायेगा ।'फिर हाथ में पानी से भरा बर्तन उठाकर कहती हैं-`चन्द्रमा! तुम शरीर धारण

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