जलवायु परिवर्तन का हमारे देश पर क्या प्रभाव पड़ा है और हमारी सरकार इसके सुधार के लिए क्या कर रही है
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Explanation:
जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा, परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है।
वायुमण्डल में ग्रीनहाउस गैसों के एकत्र होने से पृथ्वी के औसत तापमान का बढ़ना 'ग्लोबल वार्मिंग' कहलाता है। 'जलवायु परिवर्तन' एक विस्तृत शब्द है जो कि जलवायु में लम्बे समय के लिये होने वाले परिवर्तनों को इंगित करता है। इसके अन्तर्गत औसत तापमान एवं वर्षा भी सम्मिलित है।
राष्ट्रीय कार्ययोजना में “निर्वाह योग्य विकास” (Sustainable Development) के भारत के दृष्टिकोण और उन कदमों को शामिल किया गया है जो इसे प्रभावपूर्ण ढंग से क्रियान्वित करने के लिए उठाने चाहिए।
राष्ट्रीय कार्ययोजना आठ प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय मिशनों पर ध्यान केंद्रित करती है। जिनका विवरण निम्नवत है।
1- सौर ऊर्जा (Solar Energy)
2- ऊर्जा क्षमता बढ़ाना (Energy Efficiency)
3- टिकाऊ विकास (Sustainable Development)
4- जल संरक्षण (Water Conservation)
5- हिमालयी पारिस्थतिकीय तंत्र को टिकाऊ बनाना।
6- ग्रीन इंडिया (Green India)
7- टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture)
8- जलवायु परिवर्तन के ज्ञान का रणनीतिक मंच
ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का मिशन (National Mission For Enhanced Energy Efficiency)
ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 ऊर्जा क्षमता ब्यूरो (Bureau Of Energy Efficiency) के संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा क्षमता में संवृद्धि के लिए मानदण्डों के क्रियान्वयन हेतु विधिक आदेश प्रदान करता है। चार नए पहल जिसके अंतर्गत एक बाजार आधारित मैकेनिज्म जिससे लागत प्रभावकारिता में वृद्धि हो, का विकास शामिल है। शहरी तथा औद्योगिक कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने की तकनीक तथा वेस्ट मैनेजमेंट का विकास करना। ज्ञातव्य है कि इस क्षेत्र में योजनाओं एवं कार्यक्रमों के पहल से 11वीं पंचवर्षीय योजना के अन्त (2012) तक 10,000 मेगावाट ऊर्जा की बचत की जा सकेगी।
धारणीय कृषि मिशन - (National Mission For Sustainable Agriculture)
भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से यह मिशन आरम्भ किया जाएगा। इसके अंतर्गत नर्इ किस्मों की फसल जो ऊष्मा व बुरे मौसम के कुप्रभावों से स्वयं को बचा सके तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक रोधी हो विकसित करना होगा।
जल संरक्षण (Water Conservation Mission)
एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करने, जल संरक्षण में सहायता, जल क्षति को न्यूनतम करने तथा देश के अंदर जल के सम वितरण के उद्देश्य से जल संरक्षण मिशन प्रारम्भ किया गया है। नियामक मशीनरी के अंतर्गत अधिकतम जल प्रयोग का एक फ्रेमवर्क का विकास किया जाएगा ज्ञातव्य है कि भारत में जलसंकट 2050 तक गहरा जाने की आशंका है।
हिमालयी पारिस्थतिकीय तंत्र को टिकाऊ बनाना - (National Mission For Sustainable Himalayan Eco System)
इसमें हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति कम करने के लिए तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी को संतुलित करने के लिए सुरक्षा उपायों को विकसित किया जाएगा।
हरित भारत मिशन -(National Mission For Green India)
वनीकरण में वृद्धि हेतु सीधी कार्यवाही के लिए यह मिशन प्रारम्भ किया जा रहा है। इसमें पारिस्थितिकी सेवाओं (कार्बन सिंक्स सहित) का विस्तार किया जाएगा। जिससे 2012 तक 33 प्रतिशत वनीकरण का लक्ष्य प्राप्त हो सके। देश के 10 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में फैले वनों की गुणवत्ता सुधारने के लिए महत्वाकांक्षी ग्रीन इंडिया मिशन की शुरूआत की गई है।
ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत 50 लाख हेक्टेयर भूमि को नए जंगलों की चादर से ढंकने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रीन इंडिया मिशन वनों से जुड़े तीस लााख परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने में भी सहायक होगा। अगले दशक में इस मिशन में 46 हजार करोड रुपए विभिन्न योजनाओं में व्यय होगा। केन्द्र और राज्य की साझेदारी में इस योजना का दो तिहार्इ हिस्सा केन्द्र का होगा और इस मिशन के क्रियान्वयन की निगरानी का खाका भी तैयार किया गया है।
सतत पर्यावरण मिशन (Sustainable Habitat Mission)
भवनों ऊर्जा क्षमता के सुधार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा लोग यातायात के प्रकार में परिवर्तन के उद्देश्य से टिकाऊ आवास मिशन ( (Sustainable Habitat) आरम्भ किया गया है। इसके अंतर्गत एक महत्वपूर्ण अनुसंधान व विकास कार्यक्रम का संचालन, बायोकेमिकल कन्वर्जन, वेस्ट वाटर यूज, सीवेज यूटिलाइजेशन तथा रिसाइक्लिंग विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
रणनीतिक ज्ञान मिशन -(National Mission On Starategic Knowladge Of Climate Change)