जम्गी के ka agyat भय क्या था?
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खराब या अप्रिय स्थिति से निपटने का एक सूत्र है बचकर रहो। यदि आसपास के हालात खराब हों और लगे कि आप उसमें उलझ सकते हैं तो सावधान होते हुए उनसे बचे रहें और धैर्य के साथ अच्छे समय का इंतजार करें। मेरा जिन भी लोगों से संपर्क है उनमें अधिकतर व्यापार-व्यवसाय वाले हैं। यदि सौ लोगों से मिलता हूं तो उनमें से नब्बे यह कहते पाए जाते हैं कि नोटबंदी के बाद जो नया परिदृश्य सामने आया उससे देश के बाजार की हालत बहुत खराब है। एक सज्जन ने तो जो कहा, सुनकर मैं चौंक गया। उनका कहना था इस समय बाजार में भरोसा खत्म होता जा रहा है। एक-दूसरे पर विश्वास का जो स्तर था वह गिर गया। बाजार तो बैठ ही गया, लोगों का जमीर भी डोलने लगा है। जिन लोगों ने किसी को पैसे उधार दिए थे उनको डर-सा लगता है कि वो पैसे लौटकर आएंगे भी या नहीं? जिन्होंने बाजार से पैसे लिए थे उनकी नीयत साफ होने के बाद भी हालात इतने खराब हैं कि लौटा नहीं पा रहे हैं। कुल-मिलाकर इस समय धंधा करने वाले 99 प्रतिशत लोग परेशान हैं, तनाव में और टूटे हुए नज़र आते हैं। यहां वही सूत्र बड़े काम का है कि हालात बुरे हों तो उनसे अपने आप को बचाइए। इसका तरीका अध्यात्म के पास है। आध्यात्मिक जीवनशैली अपना लीजिए, आज नहीं तो कल बाजार तो ठीक हो ही जाएगा, लेकिन उसके ठीक होते-होते कहीं ऐसा न हो कि आप पूरी तरह टूट जाएं। जब कोई अज्ञात भय सता रहा हो तब अध्यात्म बड़ा सहारा होगा। आध्यात्मिक जीवनशैली कहती है अपनी आत्मा से परिचय कीजिए। इसके लिए थोड़ा समय योग को देना होगा। ये दिन भी गुजर जाएंगे और जब अच्छे दिन आएंगे तो उनका उपभोग करने के लिए अपने आपको बचाकर रख पाएंगे।
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