Social Sciences, asked by 0aimsahiljangra, 5 hours ago

जम्मू कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए​

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Answered by Franky41
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Answer:

जम्मू और कश्‍मीर में करीब दो लाख खानाबदोश गुज्जर और बकरवाल परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत लाया जा रहा है। राज्य के उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री कमर अली अख्खून ने बताया कि उनको अस्थाई राशनकार्ड जारी किए जाएंग़े ताकि एक स्थान से दूसरी जगह जाने के दौरान उन्हें बिना किसी कठिनाई के राषन मिल सके। मंत्री महोदय ने कहा कि अपनी प्रवासी प्रवृत्ति के कारण वे बीपीएल परिवारों के लिए शुरू की गईं सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे, इससे उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी।

इन खानाबदोश लोगों के प्रवास के दौरान खाद्य वस्तुओं की कमी ही सबसे प्रमुख समस्या रही है। उन्हें पीडीएस के अंतर्गत लाने से प्रवास के दौरान उनकी यह समस्या काफी हद तक कम होगी।

वर्तमान में, जम्मू और कश्‍मीर में गुज्जरों और बकरवालों की एक बड़ी जनसंख्या मौसमी प्रवास के दौरान हिमालय की उत्तरपश्चिमी ऊंची चोटियों से पैदल ही जम्मू क्षेत्र के मैदानी इलाकों में आती हैं। आजकल के दिनों में उन्हें अपने पशुओं के झुंड के साथ विभिन्न राजमार्गो और सड़कों पर चलते हुए देखना एक आम नजारा है। ऐसा माना जाता है कि मूल रूप से गुज्जर और बकरवाल राजपूत हैं जो विभिन्न कारणों से गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र से कश्‍मीर में चले गये थे। प्राचीन कश्‍मीर के इतिहास कल्हाना में, राजतरंगणिनी में इन लोगों का 9वीं और 10वीं शताब्दी में कश्‍मीर की सीमा पर रहने का उल्लेख मिलता है। यह कहा जाता है कि कुछ शताब्दी पहले उन्होंने मुस्लिम धर्म को स्वीकार कर लिया और फिर वे दो अलग-अलग सम्प्रदायों गुज्जर और बकरवाल में विभाजित हो गए। गुज्जरों के पुंछ में उच्च अधिकारी बनने से पूर्व 17वीं शताब्दी तक वे गुमनामी में रहे। इन अधिकारियों में से एक राह-उल्लाह-खान ने इस क्षेत्र में 18वीं शताब्दी में गुज्जरों के सांगो राजवंष की स्थापना की लेकिन यह भी अल्पकालिक रज्जरों और बकरवालों के बीच आपसी विवाह संबंध आम हैं।

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